पवारी शोध पत्रिका
प्रकाशक: माँ ताप्ती शोध संस्थान, मुलताई
परिचय
‘पवारी शोध पत्रिका’ हिंदी / English भाषा में प्रकाशित एक प्रतिष्ठित वार्षिक शोध-पत्रिका है। इसका उद्देश्य पंवार समुदाय और अन्य क्षत्रिय जातियों के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक पहलुओं पर केंद्रित शोध-पत्रों को प्रोत्साहित और प्रकाशित करना है। पत्रिका पंवार समाज के साहित्य, बोली-बानी, रीति-रिवाज, और गोत्र-परंपराओं पर गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है।
इस पत्रिका के माध्यम से पवारी/भोयरी बोली को संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे आने वाली पीढ़ियां अपनी सांस्कृतिक धरोहर को समझ सकें। इसके अतिरिक्त, सामाजिक कार्यकर्ताओं, लेखकों और कवियों के योगदान को मान्यता दी जाएगी।
प्रकाशन विवरण
- पत्रिका का प्रथम अंक: दिसंबर 2024 में प्रकाशित किया जाएगा।
- प्रकाशन आवृत्ति: वर्ष में एक बार। दिसंबर में प्रकाशित किया जाएगा।
- प्रकाशन का स्वरूप:
- भाग 1: शोध-पत्र अनुभाग (इतिहास, गोत्र, परंपराएं)।
- भाग 2: साहित्य अनुभाग (भोयरी/पवारी बोली की कविताएं, लेख आदि)।
- DOI (Digital Object Identifier): पत्रिका में प्रकाशित हर लेख और शोध-पत्र को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने के लिए DOI प्रदान किया जाएगा।
- प्रकाशन शुल्क: किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाएगा।
- पात्रता: लेख और शोध-पत्र की गुणवत्ता का मूल्यांकन संपादक और परामर्श मंडल द्वारा किया जाएगा।
शोध पत्रिका का उद्देश्य
- इतिहास का संरक्षण: पंवार जाति के गोत्र, ऐतिहासिक संदर्भ, और उनके सामाजिक विकास पर गहन शोध।
- भाषाई धरोहर का प्रचार: पवारी और भोयरी जैसी दुर्लभ बोलियों को संरक्षित और प्रोत्साहित करना।
- सांस्कृतिक अध्ययन: रीति-रिवाज, परंपराएं, सामाजिक संरचना, और साहित्यिक परंपराओं पर आधारित लेख।
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता: शोध-पत्रों को DOI और अन्य मानकों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर पहुंचाना।
पवारी शोध पत्रिका के दो प्रमुख भाग
1. शोध-पत्र अनुभाग:
- पंवार समुदाय के इतिहास पर आधारित गहन लेख।
- गोत्र और वंश परंपराओं का विवरण।
- पंवार समाज की धार्मिक और सामाजिक प्रथाओं पर अध्ययन।
- ऐतिहासिक दस्तावेजों और अभिलेखों का विश्लेषण।
2. साहित्य अनुभाग:
- पवारी और भोयरी बोली की कविताएं और कहानियां।
- सांस्कृतिक रचनाएं और लोकगीत।
- समाज के कवियों और लेखकों की मौलिक रचनाएं।
विशेषताएं
- राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका: पवारी शोध पत्रिका राष्ट्रीय स्तर पर पंवार समाज और अन्य क्षत्रिय जातियों के इतिहास को पहचान दिलाने का प्रयास करती है।
- समाज के व्यक्तित्वों का योगदान: सामाजिक कार्यकर्ताओं, लेखकों, कवियों, और शोधकर्ताओं का परिचय और उनके योगदान का उल्लेख।
- गुणवत्ता नियंत्रण: प्रत्येक शोध-पत्र और लेख का संपादक मंडल द्वारा गहन परीक्षण और मूल्यांकन।
- सांस्कृतिक और भाषाई संरक्षण: विलुप्तप्राय पवारी और भोयरी बोलियों को संरक्षित करने की पहल।
पत्रिका में योगदान के लाभ
- DOI नंबर के माध्यम से लेखों को वैश्विक पहचान।
- प्रतिष्ठित शोध-पत्रिका में प्रकाशन का अवसर।
- पंवार समुदाय और अन्य शोधकर्ताओं के बीच पहचान बनाने का माध्यम।
संपादकीय मंडल
- प्रधान संपादक:
- संपादक मंडल सदस्य:
- परामर्श मंडल:
- इतिहासकार,
- भाषाविद,
- अन्य विशेषज्ञ।
संपर्क करें
प्रकाशक का पता
माँ ताप्ती शोध संस्थान, मुलताई,
मध्य प्रदेश, भारत।
संपर्क विवरण
- ईमेल: maa.tapti.shodh.sansthan@gmail.com
- वेबसाइट:
अन्य महत्वपूर्ण जानकारी
- पत्रिका में प्रकाशित सभी लेख और शोध-पत्र भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त DOI प्रणाली से पंजीकृत किए जाएंगे।
- पवारी शोध पत्रिका सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से समृद्ध सामग्री का संग्रहीत स्रोत है।
- विशेष संस्करणों में पंवार समाज की हस्तियों का साक्षात्कार और उनके योगदान पर केंद्रित लेख भी शामिल किए जाएंगे।
- लेखकों और पाठकों को शोध पत्रिका की ऑनलाइन और प्रिंट प्रति दोनों उपलब्ध होगी।
पवारी शोध पत्रिका पंवार समाज और अन्य क्षत्रिय जातियों की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और समाज में नई शोध संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
यहाँ "पवारी शोध पत्रिका" के लिए संशोधित दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं:
पवारी शोध पत्रिका में योगदानकर्ताओं के लिए दिशानिर्देश
पवारी शोध पत्रिका पंवार समाज, भारतीय इतिहास, संस्कृति और पंवार समुदाय से जुड़े किसी भी पहलू पर आधारित, 5000 शब्दों से अधिक न होने वाले शोध-आधारित और विस्तृत लेखों का स्वागत करती है। जिसमें समीक्षक और लेखक दोनों की पहचान गोपनीय रखी जाती है।
प्रस्तुतिकरण के दिशा-निर्देश
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फॉर्मेटिंग:
- फॉन्ट: कृतिदेव 010 (हिंदी के लिए) या टाइम्स न्यू रोमन (अंग्रेजी के लिए)।
- फॉन्ट साइज: 12 (मुख्य लेख के लिए), 10 (फुटनोट्स के लिए)।
- लाइन स्पेसिंग: डबल स्पेस।
- कागज का आकार: A4 पृष्ठ।
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लेख की लंबाई:
- शोध-पत्र: 3000-5000 शब्द।
- सामान्य लेख: 1000-1500 शब्द।
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सारांश और कीवर्ड:
- लगभग 200 शब्दों का सारांश लेख के साथ होना चाहिए।
- लेख में 4-6 कीवर्ड अवश्य शामिल करें।
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फाइल प्रारूप:
- लेख केवल MS Word (2010 संस्करण) में भेजें।
- PDF प्रारूप में प्रस्तुत लेख स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
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चित्र और तालिकाएं:
- प्रति लेख अधिकतम 10 चित्र या तालिकाएं शामिल की जा सकती हैं।
- सभी चित्र और तालिकाओं के लिए स्रोत का उल्लेख आवश्यक है।
लेखकों के लिए अन्य निर्देश
- लेखकों को अपने शोध-पत्र या लेख के साथ अपना पूरा नाम, डाक पता, ईमेल पता और फोन नंबर देना होगा।
- लेख केवल हिंदी में लिखे जा सकते हैं। यदि लेख अंग्रेजी में लिखा गया है, तो यह सुनिश्चित करें कि इसे किसी भाषाई विशेषज्ञ द्वारा संपादित किया गया हो।
- पूर्व-आधुनिक इतिहास पर लेखों में आवश्यकता अनुसार डायक्रिटिकल चिह्नों का उपयोग किया जा सकता है।
संदर्भ शैली
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संदर्भ सूची एंडनोट्स के रूप में दी जानी चाहिए।
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संदर्भों का प्रारूप इस प्रकार हो:
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पुस्तकें:
लेखक का नाम, प्रकाशन का वर्ष, पुस्तक का शीर्षक (इटैलिक में), प्रकाशक का नाम, स्थान, और पृष्ठ संख्या।- उदाहरण:
- कृष्णा, नंदिता (2017). हिंदू धर्म और प्रकृति, पेंगुइन, नई दिल्ली, पृ. 70।
- उदाहरण:
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पत्रिकाओं में लेख:
लेखक का नाम, वर्ष, लेख का शीर्षक ("डबल कोट्स के भीतर"), पत्रिका का शीर्षक (इटैलिक में), खंड संख्या, अंक संख्या, स्थान और पृष्ठ संख्या।- उदाहरण:
- भट्टाचार्य, यू. (2017). "सरे से प्रबंधन तक: बंगाल के जल संसाधनों में प्रारंभिक औपनिवेशिक राज्य का हस्तक्षेप", भारतीय ऐतिहासिक समीक्षा, खंड 44, संख्या 2, चेन्नई, पृ. 225-251।
- उदाहरण:
-
संपादित खंडों में लेख:
लेखक का नाम, वर्ष, लेख का शीर्षक ("डबल कोट्स के भीतर"), संपादक का नाम (सं.), पुस्तक का शीर्षक (इटैलिक में), प्रकाशक का नाम, स्थान और पृष्ठ संख्या।- उदाहरण:
- अनंतकृष्णन, एस. (2015). "तमिल देश में विद्रोह का आलोचनात्मक मूल्यांकन", जी. जे. सुधाकर (सं.), भारत में लोकप्रिय विद्रोह, सी.पी.आर. प्रकाशन, चेन्नई, पृ. 43-51।
- उदाहरण:
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इंटरनेट स्रोतों का उपयोग केवल आवश्यकता पड़ने पर करें और पूरा संदर्भ विवरण दें।
लेखकों का वचन
शोध-पत्र प्रस्तुत करने वाले लेखकों को यह लिखित और हस्ताक्षरित वचन देना होगा कि:
- यह पेपर मौलिक है और मेरे/हमारे द्वारा लिखा गया है।
- इसे पहले कहीं प्रकाशित नहीं किया गया है।
- अन्य स्रोतों से ली गई सामग्री के लिए अनुमति प्राप्त कर ली गई है।
- यह पेपर किसी के बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है।
- मैंने/हमने इस पेपर के लिए अनुसंधान दिशानिर्देशों का पालन किया है।
- यदि कोई त्रुटि पाई जाती है, तो मैं/हम उसे सुधारने के लिए तत्पर रहेंगे।
प्रेषण प्रक्रिया
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लेखकों को अपने शोध-पत्र या लेख की सॉफ्ट और हार्ड कॉपी प्रदान करनी होगी।
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लेख ई-मेल अटैचमेंट के रूप में निम्न पते पर भेजा जा सकता है:
- ईमेल: maa.tapti.shodh.sansthan@gmail.com
- डाक पता:
माँ ताप्ती शोध संस्थान, मुलताई,
मध्य प्रदेश, भारत।
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सभी शोध-पत्रों को अंतिम तिथि से पहले जमा करना अनिवार्य है।
संपादकीय अधिकार
- संपादकीय बोर्ड को शोध-पत्र स्वीकार/अस्वीकार करने का पूरा अधिकार है।
- प्रकाशित लेखों में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं; पत्रिका का इससे सहमति होना आवश्यक नहीं।
- साहित्यिक चोरी के लिए केवल लेखक जिम्मेदार होंगे।
पवारी शोध पत्रिका पंवार समाज और भारतीय संस्कृति के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहलुओं के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
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