Saturday 25 August 2018

" बुध्दिमान राजाभोज "
* दो शब्द *
यह लड़का तो बड़ा भाग्यवान हैं। यह एक महान राजा बनेगा। इस का नाम सारी दुनियॉ में फैलेगा, - ज्योतिषी ने बालक के मुख की ओर देखते हुए भविष्यवाणी की।
यह सुनकर पाठशाला के सभी विधार्थी और आचार्य अवाक रह गए। पांच साल के इस बालक के बारे में की गई इस भविष्यवाणी पर सरलता से विश्वास नहीं हो रहा था। फिर इस ज्योतिषी ने तो पहली बार ही इस बालक भी यह सोजकर आश्चर्य में था। उस बालक से रहा नहीं गया। उसने ज्योतिषी से पूछा -
आपने यह कैसे जाना कि मैं महान राजा बनूंगा ?
ज्योतिषी ने उत्तर दिया -
तुम्हारे सामने के टेढे-मेढ़े दो दांतों को देखकर मैने यह भविष्यवाणी की हैं।
इतना सुनते ही बालक उठा , बाहर के प्रागंण में पड़े एक पत्थर को उठाया और देखते -ही- देखते उसने अपने सामने के दोनों टेढे़-मेढ़े दांत तोड़ दिए। उसका मुंह लहू- लुहान हो गया । उसे ऐसा करते देख सभी आश्चर्य में पड़ गए। शिक्षक को डर लगा कि कहीं इस विषय में उस लड़के के चाचा सिन्धु राज से दण्ड न मिले । शिक्षक ने चिन्तित होकर उस बालक से पूछा -
तुमने अपने ये दांत तोड़ क्यों डाले ?
बालक ने उत्तर दिया -
गुरूदेव ! मैं अपने टेढ़े-मेढ़े दांतों के कारण या भाग्य के भरोसे राजा नहीं बनना चाहता । मैं अपनी शक्ति और पराक्रम से ही राजा बनूंगा। भाग्य से मिलने वाला राज्य मुझे नहीं चाहिए।
अपनी शक्ति और योग्यता पर विश्वास करने वाला यह बालक भोज था, जो आगे चलकर राजाभोज के नाम से लोकप्रिय हुआ।
राजाभोज ने १०१० से १०५० ई० तक राज्य किया । मध्यप्रदेश की धार नगरी उनकी राजधानी थी। राजाभोज अपनी महानता और उदारता के कारण पूरे विश्व में प्रसिध्द हुए। वे एक बहुत बड़े ज्ञानी और विध्द्रान भी थे। उन्होंने संस्कृत के कई महान ग्रंथ लिखें।
कालिदास जैसे क ई कवि और विव्दान उनकी सभा में रहते थे। वे प्रज्ञा का बहुत ध्यान रखते थे और अत्यंत लोकप्रिय भी थे। विक्रमादित्य के बाद राजाभोज ही ऐसे शासक हुए हैं , जिनकी अनेक रोचक काहनियॉ उस समय के लोगों के बीच प्रचलित थी और आज भी प्रचलित हैं। इन कहानियों में राजाभोज की विव्दता , समझदारी , न्याय की भावना , उदारता और प्रजा के प्रति प्रेम की भावना देखने को मिलती हैं। ऐसी ही कुछ रोचक कथाएं यहां दी जा रही हैं। 

Saturday 19 May 2018

पवारी / भोयरी

*भोयरी पवारी*

The total number of persons speaking Rajasthani is 4 per cent in betul. of the population. It includes several caste Sub-dialects of Rajasthan. dialects spoken in other districts, among which Bhoyari,
Kir, and Katiyai are the most important. Bhoyari is the dialect of the Bhoyars of Betul, Chhindwara and Wardha. It is only provisionally classed by Dr. Grierson as a dialect of Rajasthani.

Thursday 17 May 2018

पुहमी बुड़ा पुँवार (भाटी गीत)

पुहमी बुड़ा पुँवार
(भाटी गीत)

करि बन्दन सुख के सदन, गौरीनब्द गनेस ।
कथें सुजस पँवार कुल, बर दे बुद्धि बिसेस ।।१।।

मालव धरनी मांह, धार नगर रजधानी ।
बीर तरवत पुँवार, कीरत जगदेव कहानी ।।२।।

विक्रमसा नरबीर, नगर उज्जेणि में नामी ।
मुन्ज अफ नृप भोज, चतुर्दस-विद्या ज्ञानी ।।३।।

जन्म लियो भरतरी जशा, देस भयों चहुँ दण्ड ।
गुरू गोरख सिर कर धन्यो, अमर नाम अखंड ।।४।।

पृथ्वी ठावी उज्जेणिपुर, धरा ठावि गढ़ धार ।
कुल वर्गु पूरू राय को, पुहमी बड़ा पुँवार ||५||

पँवार चक्रवर्ती राजा भोज

संकलन डॉ.ज्ञानवेर टेंभरे

देवर भाभी संवाद (पवारी में)

२. देवर भाभी संवाद

भाभी सावन बरसे भादवो गरज,
मन मरो उडनो काव्य
ओ देवर जी तुम बन पारखी,
साजन ने ढूंढ लाओ
कोनदेशऽमगयातुमराभाई,
कौन बांट गया भूल
जाओ उन व लेख आओ,
तन म उठे है शूल ।।१।।
देवर म काहे को पंख लगाए
उड़ खा जाऊ दूर ।
दूर हय मेरा भैया, ओ भाभी
देऽकोईमन्तरपूर
भाभी आया सावन मेहंदी वाली,
गोरी हथेली लाएं ।
पेरा करना हाथ तुम्हारा,
असोऽ मंतर देहू।
अब देवर जी उड़ जाओ तुम
भैया के लिए तुम ढूंढ ||३||

रचयिता गोपीनाथ कालभोर, रोड़ा, जि.बैतुल.

माँ गढ़कालिका जी की आरती

(माँ गढकालीका की आरती

मैय्या करू गुढळली तोरी आरती हो माँ-२
मैय्या आरती माँ बेल फूल चढाऊ वो मोरीमाय-२
हल्दी कुंकू नारीयल धुप दीप कपूरल सजी थार-२
आरती गुढकालीकी-हो मैय्या-आरती गुढ़काली की ।
गाव हरेक पोवार-२ मैय्या करू गुढ़कली तोरी आरती....
ब्रम्हांड की रखवारी तु धारा जुगर ठिकाण-२
राजा भोजला पायव-२तोला बुध्दी अणा ज्ञाब-२
मैय्या करू गुढकाली..

ये धरती को कोना कोना माँ फैल्या जो पोवार
आवी सब तोराच बेटा-२देजो बुध्दी अणा बाब-२
मैय्या करू गुढकाली,
तोरो दरशन का प्यासा बेटा माँ कुरखेत पुकार-२
कर सबकी मनसा पुरी-ओ मैय्या-२
धन्य होये हर पोवार-२ मैय्या करू गुढकाली.
कुलदेवी माय तु आम्हरी-कर देजो माँ उद्वार-२
गेवरी गाऊ मैय्या कमसे वो काली-२
तोरी महिमा से अपार-२ मैय्या करू गढकाली.....
मैय्या करू गुढकाली तोरी आरती हो माँ
जय माँगड़ालीका॥

Sunday 25 February 2018

महाभारत के युद्ध में अर्जुन और कर्ण के बीच घमासान

महाभारत के युद्ध में अर्जुन और कर्ण के बीच घमासान चल रहा था । अर्जुन का तीर लगने पे कर्ण का रथ 25-30 हाथ पीछे खिसक जाता , और कर्ण के तीर से अर्जुन का रथ सिर्फ 2-3 हाथ ।
लेकिन श्री कृष्ण थे की कर्ण के वार की तारीफ़ किये जाते, अर्जुन की तारीफ़ में कुछ ना कहते ।
अर्जुन बड़ा व्यथित हुआ, पूछा , हे पार्थ आप मेरी शक्तिशाली प्रहारों की बजाय उसके कमजोर प्रहारों की तारीफ़ कर रहे हैं, ऐसा क्या कौशल है उसमे ।
श्री कृष्ण मुस्कुराये और बोले, तुम्हारे रथ की रक्षा के लिए ध्वज पे हनुमान जी, पहियों पे शेषनाग और सारथि रूप में खुद नारायण हैं । उसके बावजूद उसके प्रहार से अगर ये रथ एक हाथ भी खिसकता है तो उसके पराक्रम की तारीफ़ तो बनती है ।
कहते हैं युद्ध समाप्त होने के बाद श्री कृष्ण ने अर्जुन को पहले उतरने को कहा और बाद में स्वयं उतरे। जैसे ही श्री कृष्ण रथ से उतरे , रथ स्वतः ही भस्म हो गया । वो तो कर्ण के प्रहार से कबका भस्म हो चूका था, पर नारायण बिराजे थे इसलिए चलता रहा । ये देख अर्जुन का सारा घमंड चूर चूर हो गया ।
कभी जीवन में सफलता मिले तो घमंड मत करना, कर्म तुम्हारे हैं पर आशीष ऊपर वाले का है । और किसी को परिस्थितिवष कमजोर मत आंकना, हो सकता है उसके बुरे समय में भी वो जो कर रहा हो वो आपकी क्षमता के भी बाहर हो ।

लोगों का आंकलन नहीं, मदद करो

Thursday 22 February 2018

बाबू मु भी पोरी आए तोरी

पवारी कविता ......................बाबू मु भी पोरी आए तोरी
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बाबू मु भी पोरी आए तोरी काहे भैया ख लाड करय ।
भैया ल स्कूल भेजय मोखअ काहे ऐतो काम करावय।।
मु घर को सराय पोतार करू है ,चुल्हा चौका मु करू अन भैया ल काहे लाड करय।।
बाबू मु भी पोरी आए तोरी काहे भैया ख लाड करय।
मोरो ब्याहो कर दियो सासु घरअ बी मिलन नी आवत।
यहा सासु ससरा बी मन की करय मु सबकी सुनु है।
बाबू मु भी पोरी आए तोरी काहे भैया ख लाड करय।
मनअ असो का करियो ते मोखअ असो तज दियो।
अन भैया भाभी ल ऐतो प्यार करे माय भी दुलार करय।।
बाबू मु भी पोरी आए तोरी काहे भैया ख लाड करय।।

रचित- अशोक बारंगे (BDN)