Sunday, 25 February 2018

महाभारत के युद्ध में अर्जुन और कर्ण के बीच घमासान

महाभारत के युद्ध में अर्जुन और कर्ण के बीच घमासान चल रहा था । अर्जुन का तीर लगने पे कर्ण का रथ 25-30 हाथ पीछे खिसक जाता , और कर्ण के तीर से अर्जुन का रथ सिर्फ 2-3 हाथ ।
लेकिन श्री कृष्ण थे की कर्ण के वार की तारीफ़ किये जाते, अर्जुन की तारीफ़ में कुछ ना कहते ।
अर्जुन बड़ा व्यथित हुआ, पूछा , हे पार्थ आप मेरी शक्तिशाली प्रहारों की बजाय उसके कमजोर प्रहारों की तारीफ़ कर रहे हैं, ऐसा क्या कौशल है उसमे ।
श्री कृष्ण मुस्कुराये और बोले, तुम्हारे रथ की रक्षा के लिए ध्वज पे हनुमान जी, पहियों पे शेषनाग और सारथि रूप में खुद नारायण हैं । उसके बावजूद उसके प्रहार से अगर ये रथ एक हाथ भी खिसकता है तो उसके पराक्रम की तारीफ़ तो बनती है ।
कहते हैं युद्ध समाप्त होने के बाद श्री कृष्ण ने अर्जुन को पहले उतरने को कहा और बाद में स्वयं उतरे। जैसे ही श्री कृष्ण रथ से उतरे , रथ स्वतः ही भस्म हो गया । वो तो कर्ण के प्रहार से कबका भस्म हो चूका था, पर नारायण बिराजे थे इसलिए चलता रहा । ये देख अर्जुन का सारा घमंड चूर चूर हो गया ।
कभी जीवन में सफलता मिले तो घमंड मत करना, कर्म तुम्हारे हैं पर आशीष ऊपर वाले का है । और किसी को परिस्थितिवष कमजोर मत आंकना, हो सकता है उसके बुरे समय में भी वो जो कर रहा हो वो आपकी क्षमता के भी बाहर हो ।

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Thursday, 22 February 2018

बाबू मु भी पोरी आए तोरी

पवारी कविता ......................बाबू मु भी पोरी आए तोरी
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बाबू मु भी पोरी आए तोरी काहे भैया ख लाड करय ।
भैया ल स्कूल भेजय मोखअ काहे ऐतो काम करावय।।
मु घर को सराय पोतार करू है ,चुल्हा चौका मु करू अन भैया ल काहे लाड करय।।
बाबू मु भी पोरी आए तोरी काहे भैया ख लाड करय।
मोरो ब्याहो कर दियो सासु घरअ बी मिलन नी आवत।
यहा सासु ससरा बी मन की करय मु सबकी सुनु है।
बाबू मु भी पोरी आए तोरी काहे भैया ख लाड करय।
मनअ असो का करियो ते मोखअ असो तज दियो।
अन भैया भाभी ल ऐतो प्यार करे माय भी दुलार करय।।
बाबू मु भी पोरी आए तोरी काहे भैया ख लाड करय।।

रचित- अशोक बारंगे (BDN)