Sunday, 4 May 2025

पवार कुल दर्शन- कृष्णराव बालाजी पवार ठाणेगाँव ( जि. वर्धा ) - PAWAR SANDESH PAWAR SANDESH Edition 01 – year 1984 DOI- 10.5281/zenodo.14221110

 

पवार कुल दर्शन- कृष्णराव बालाजी पवार ठाणेगाँव ( जि. वर्धा ) - PAWAR SANDESH PAWAR SANDESH Edition 01 – year 1984 DOI- 10.5281/zenodo.14221110

Description

पवार  कुल दर्शन

(राग-तिलक कामोदताल-त्रिताल)

कृष्णराव बालाजी पवारठाणेगाँव ( जि. वर्धा )

 

पवार ढोले डोंगरे टोपलेकिनकर खवसे भादे डोबले ||

माटे ढोबाले चिकाने चोपडेहिंगवे गोरे धोटे बोबड़े ||१||

 

ठवले कसई कड्वे घागरेबैगने राऊत पाठे गाकरे ||

कालभूत बारंगे गधड़ेपच्हाडकर ढंडाले उधड़े ||२||

 

देशमुख रमधम देवासेमानमोडे कामड़ी डिग्रसे ||

बन्नागरे बिरगड़े पठाड़ेपेंधे बरखड़े गोहते रबड़े ||३||

 

फरकाडे करदाते कुईकेकाटोले चौधरी लाडके ||

कसलीकर गिलहारे कोरडेरहांगडाले अंबुले येडे ||४||

 

हरणखड़े कालभौर ख़परेशरणांगत ओंकार गाडरे ||

मुने गाडगे सवाई कटरेभगत पारधी पटले टेंभरे ||५||

 

बिसेन ठाकुर बोपचे गद्रेठाकरे गौतम तुरकर पिंजारे ||

भोजे उकंडे दुःखी डालेधारपुरे व भुसारी हजारे ||६||

 

धोंडी जैतवार गाधाडेचिकवार चनकार बोवाड़े ||

उकार हनवत चव्हाण हिलेराणा रिनायत दुर्वे बघेले ||७||

 

पाठा वडस्‍कर परीहाराभुईन्हार भोयार पावरा ।

ढोलेवार भोयर सोनवानेडोंगरदेव भदे पहचाने ||८||

 

करंजकार डोकले खसारेराबडे भैरम आग्रे सहारे ||

पहार शेंडया कोल्हया डुकीलेपुण्ड फरीद रंजहास कोल्हे ॥९॥

 

क्षिरसागर रणदिवा शेरके, बरखांडे भोंगड़े बोगडे ||

खरपुसे गागड्या राबड़े, दंढ़ारे खुसखुसे ड़ोबड़े ||१०||

 

पहाड़ बड़नग रहमत हरणे, सोरद्या सोरद्या बार बोहरे ||

बिडगेड डंकार वाघमारे, लबाड़ रोडल्या राखड़े लोखंड़े ||११||

 

नाडीतिङ बेरागड़े डहारे, तागड़ी चव्हाणहि देसारे ||

मस्के फरकसे और पर्बते, एक सौ अठ्ठावन कुल केसारे ||१२||

 

# रेखांकित किए गए कुल वैनगंगा पोवार (36 कुल) शाखा के हैं, जबकि जो कुल रेखांकित नहीं किए गए हैं, वे भोयर पवार (72 कुल) शाखा के हैं।

# ऊपर दी गई "पंवार कुल दर्शन" कविता, जो पंवारों के कुलों को दर्शाती है, उसमें उनके सही विवरण में कई त्रुटियाँ हैं। इसलिए, इस कविता का स्पष्टीकरण नीचे दिया गया है, और पंवारों के कुलों की सही सूची भी प्रस्तुत की गई है।

 

 

स्पष्टीकरण:

क्षत्रिय पवार (भोयर पवार/पोवार) जाति के गोत्र एवं उनके अपभ्रंश

 

क्षत्रिय पवार, जिसे पवार, भोयर या भोयर पवार के नाम से भी जाना जाता है, एक क्षत्रिय (राजपूत) जाति है। हिंदू वैदिक वर्ण व्यवस्था के अनुसार, यह जाति क्षत्रिय वर्ण में आती है। ये मूल रूप से मालवा के राजपूतों के वंशज हैं, जो राजस्थान, गुजरात, सिंध और भारत के अन्य क्षेत्रों से प्रवास करके मालवा में आकर बसे थे। वर्तमान में इनका प्रमुख निवास मध्य प्रदेश के बैतूल, छिंदवाड़ा और पांढुर्णा जिलों तथा महाराष्ट्र के वर्धा और नागपुर जिलों में है। यह 72 कुलों वाला पवारों का समूह 16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच मालवा से बैतूल में प्रवासित हुआ और वहां से धीरे-धीरे छिंदवाड़ा, पांढुर्णा और वर्धा जिलों में फैल गया। पवारों का 36 गोत्रों वाला एक अन्य समूह मध्य प्रदेश के बालाघाट और सिवनी जिलों तथा महाराष्ट्र के भंडारा और गोंदिया जिलों में निवास करता है, जिसे वैनगंगा पोवार के नाम से जाना जाता है। 18वीं शताब्दी के बाद, इस समूह ने पश्चिमी मालवा से नागपुर के रामटेक के निकट नागर्धन की ओर स्थानांतरित होकर वैनगंगा नदी के किनारे निवास किया। इसके बाद, उन्होंने बालाघाट, सिवनी, भंडारा और गोंदिया जिलों में अपनी बस्तियों का विस्तार किया।

 

भोयर पवारों के 72 गोत्र इस प्रकार हैं:

 

1. बारंगिया / बारंग्या / बारंगा / बारंगे

2. बागवान / भोयर / भुईहार

3. बोगाना / बोगा / बैंगने

4. बरखेड़िया / बरखाड्या / बरखेडे / बरखाडे / वरखाडे

5. बारबुहारा / बारबुहारे

6. बड़नगरिया / बड़नगरया / बडनगरे / बन्नगरे / नागरे

7. भादिया / भादय्या / भादया / भादे / भादेकर

8. बोबाट / भोभाट / भोभटकर / बोभाट / बोभाटकर

9. बोबड़ा / बोबड्या / बोबड़े / बोबाड़े

10. बुहाड़िया / बुवाड्या / बोवाड्या / बुआड्या / भोहाड्या / बुवाडे / बोवाड़े / बोआड़े / भोहाडे

11. बरगाड़िया / बिरगड्या / बिरगड़े / बिरगाड़े / बिरखाड़े / वीरगाड़े / वीरखाड़े / वीरखड़े / बिडगड़े / बिसेन

12. चोपड़िया / चोपड्या / चोपड़े / चोपड़ा / चोपाडे

13. चौधरी

14. चिकानिया / चिकनिया / चिकन्या / चिकान्या / चिकने / चिकाने / चनखार / चनखर / चकनार / चखनर

15. ढुंढारिया / डंडारे / डंढारे / डंडाले / दंडाले

16. डालू / डाला / डहारे / डाले / डकारे

17. देवासिया / देवास्या / देवासे

18. देशमुख

19. धारफोड़िया / धारपुरे / धारफोड़े  धारे

20. ढोटा / ढोटया / धोटे / ढोटे

21. ढोंडी

22. ढोबारिया / ढोबारया / डोबारया / ढोबले / ढोबाले / ढोबारे / डोबले / डोबाले / डोबारे,

23. ढोलिया / ढोल्या / ढोले

24. डिगरसिया / डिगरस्या / डिगरसे / डिगर्से / डिग्रसे / दीग्रसे

25. डोंगरदिया / डोंगरया / डोंगरदिए / डोंगरे / डोंगरदे / डोंगरकर / डोंगरदेव

26. दुखी / दुर्वे / दु:खी / दुख्खे

27. फरकाड़िया / फरकाड्या / फरकाड़े / फरकासे / फरखासे / फरकसे

28. गाड़किया / गाखरे / गाकरे

29. गागरिया / गागड़े  गाडगे / गागरे /  आगरे

30. गाडरी / गाडरया / गडरे / गधडे / गद्रे / गादड़े / गाडरे / काटोले / काटवले

31. घागरे

32. गिरहारिया / गिरहारया / गिरहारे / गिरारे / गिराले / गुसाई

33. गोंदिया

34. गोहितिया / गोहित्या / गोहिते / गोहते / गोयरे / गोहिता / गोहाटे / गोयते

35. गोरिया / गोरया / गोरे

36. हजारिया / हजारया / हजारे

37. हिंगवा / हिंगवे

38. कालभोर / कालभूत्या / कालभूत / कालभौर

39. करदातिया / करदात्या / करदाते / दाते

40. कड़वा / कड़वे / कड़वेकर / कडू / कडूकर

41. कामड़ी

42. कसाई / कासलीकर / कसारे / कास्लेकर / खसारे / केसलीकर

43. खौसी / खौसे / खवसे / खवासे / कौशिक / खवशिक

44. खपरिया / खपरया / खापरे / खपरे / खपरिए

45. खरगोसिया / खारफुसे / खुसखुसे / खरफसे

46. किरंजकर / करंजकर

47. किनकर / किनेकर / किंकर

48. कोड़िलिया / कोड़ल्या / कोड़ले / कोरडे

49. लबाड़ / लबड़े

50. लावरी

51. लाडकिया / लाडके

52. लोखंडिया / लोखंड्या / लोखंडे

53. माटिया / माट्या / माटे

54. मानमोड़िया / मानमोड्या / मानमोड़े / मानमुड़े

55. मुनी / मुन्ने / मुने

56. नाडीतोड़

57. उकार / ओंकार / ओमकार

58. पठाडिया / पठाड्या / पठाडे / राखड़े

59. पड़ीयार / परिहार / पराड़ / पड्याड़ / पड़िहाड़ / पड़ीमार / प्रतिहार /  पराड़कर

60. पाठा / पाठे / पाठेकर / पथे

61. पिंजारा / पिंजारया / पिंजारे / पिंजरा / पिंजरे / पिंजड़े / पिंजरकर

62. रावत / राऊत

63. रबड़िया / रबड्या / रबडे / राबडे

64. रमधम / रमधने

65. रोलकिया / रोड़ल्या / रोडले

66. सरोदिया / सरोदया / सरोदे / सरोदा

67. सवाई

68. शेरकिया / शेरक्या / शेरके / छेरके

69. टावरी / ठवरी / ठवरे / ठवले

70. ठुस्सी

71. टोपरिया / टोपल्या / टोपले

72. उकड़लिया / उकड़ल्या / उकड़ले / उधड़े / उकंडे / उकड़ते / उकर्ले / उघड़े

 

 

कुछ अतिरिक्त अपभ्रंश जिनका मूल गोत्र मालूम नहीं है - कुहिके, भुसारी, पेंधें, भोंगाड़े। ये चार गोत्र भी पवारों के 72 गोत्रों में से कुछ गोत्रों के अपभ्रंश हैं, किंतु यह किस गोत्र के अपभ्रंश हैं और इनका मूल गोत्र क्या है, यह ज्ञात नहीं है। यह शोध का विषय है और इस पर शोध जारी है।

 

भोयर पवार जाति केवल ऊपर दिए गए 72 गोत्रों तक सीमित है। इन 72 गोत्रों के अलावा पवार जाति में कोई अन्य गोत्र नहीं है। पुराने ग्रंथों और लेखों में, उस समय पवारों के बारे में सीमित जानकारी या जानकारी के अभाव के कारण, गोत्रों की सूची में कई त्रुटियां हुईं। परिणामस्वरूप, ऐसे कई गोत्र भी सूचीबद्ध कर दिए गए जो वास्तव में पवार जाति से संबंधित नहीं हैं।

 

जैसा कि हमने अब तक पवारों के गोत्रों की सूची में देखा है, समय और स्थान में बदलाव के चलते पवारों के गोत्रों के कुछ अपभ्रंश भी हुए हैं। गोत्रों के अपभ्रंश होने के पीछे कई ऐतिहासिक, भौगोलिक और भाषाई कारण रहे हैं। कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

 1. मालवा से सतपुड़ा क्षेत्र में माइग्रेशन :

   - 16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच मालवा के पंवार राजपूत सतपुड़ा के बैतूल, मुलताई, और विदर्भ के क्षेत्रों में आकर बसे। 

   - इस प्रवास के दौरान गोत्रों के उच्चारण और लिखने के तरीके में बदलाव हुए। 

   - बैतूल (मुलताई) से पांढुर्ना, सौसर, और छिंदवाड़ा की ओर जाने वाले पंवारों के गोत्र में स्थानीय भाषाओं के प्रभाव से अपभ्रंश हुआ। 

2. मराठी भाषा का प्रभाव :

   - महाराष्ट्र के निकटवर्ती क्षेत्र (पांढुर्ना, कारंजा, नागपुर) में मराठी भाषा का प्रभाव गोत्रों के नामों पर पड़ा। 

   - उदाहरण: 

     - बारंगिया  बारंगा  बारंगे

     - चोपड़िया  चोपड़ा  चोपड़े 

   - मराठी भाषा में उच्चारण और व्याकरण के कारण हिंदी गोत्रों को मराठी शैली में लिखा और बोला जाने लगा।

 3. अंग्रेजी में लिखने के कारण परिवर्तन :

   - गोत्रों को जब अंग्रेजी में लिखने की प्रक्रिया शुरू हुई, तब उच्चारण और वर्तनी में बदलाव आया। 

   - उदाहरण: 

     - Chopde (चोपड़े)  Chopade

     - उच्चारण में "चोपाडे" जैसा स्वरूप प्रचलित हो गया। 

   - इसी प्रकार अन्य गोत्रों में भी अंग्रेजी लिप्यंतरण के कारण बदलाव देखा गया।

 4. भाषाई और व्याकरणिक प्रभाव :

   - हिंदी और मराठी व्याकरण के भिन्न नियमों और क्षेत्रीय शब्दों के उपयोग के कारण गोत्रों में परिवर्तन हुआ। 

   - उदाहरण: 

     - हिंदी के शब्दों में जहां "अ" का प्रयोग होता था, मराठी में "ए" या "आ" का प्रयोग किया जाने लगा। 

     - जैसे: 

       - चिकाणे  चिकाने 

       - पठाड़िया  पठाड़े 

 

अन्य कारण: 

- स्थान-विशेष के प्रभाव: 

  क्षेत्रीय उच्चारण के अनुसार गोत्रों के नामों का स्थानीय रूपांतरण हुआ। 

  - जैसे, मुलताई में "डोंगरिया", नागपुर में "डोंगरे", और छिंदवाड़ा में "डोंगरड़ेया "डोंगरदीवे" 

- सामाजिक पहचान और स्वीकृति: 

  समुदायों ने स्थानीयता के साथ अपनी पहचान को जोड़ने के लिए गोत्रों के नाम में छोटे-छोटे बदलाव स्वीकार किए। 

 

निष्कर्ष : 

गोत्रों में परिवर्तन एक स्वाभाविक प्रक्रिया थी, जो मुख्य रूप से माइग्रेशन, भाषाई प्रभाव, और अंग्रेजी लिप्यंतरण से प्रभावित हुई। यह पंवार समाज के सामाजिक और सांस्कृतिक अनुकूलन का प्रमाण है।

 

अध्ययन का महत्व:

पंवार समुदाय के गोत्रों के इस विकास और बदलाव को समझना न केवल उनके इतिहास को संरक्षित करने का माध्यम है, बल्कि उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई प्रभावों का अध्ययन भी है। यह अध्ययन इस बात को रेखांकित करता है कि कैसे भाषाई और भौगोलिक परिवर्तन किसी भी समाज की पहचान को प्रभावित कर सकते हैं।

 

REFERENCES:

 1.  Panwar Samaj: Ek Sinhavlokan. (1984). Dr. Dyneshwar Tembhare *Panwar Sandesh*, 16-18.

2.  Panwar Kul Darshan. (1985). In Krishnarav Balaji Panwar (Ed.), *Panwar Sandesh*, 21-22.

3.  Bhojpatra. (1986). In Pannalal Bisen (Ed.), *Bhojpatra*, 12-14.

4.  Dr. Manju Awasthi. (1995). Balaghat jile ki jan boliyo ka bhashavaizyanik avam sanskritik adhyayan (pp. 593-594).

5.  Genealogist (Barwa/Rao/Bhatt) - Madansingh ji Morsingh Barwaji, Mu. Singapura Post- Galwa, Via Kosithal, District- Bhilwara, Rajasthan (available in Bhoj Patrika published by Bhopal Pawar samaj sangthan).

6.  Dr. Dyneshwar Tembhare. (2014). Pawari gyandeep (2nd ed.). Himalaya publishing house, Mumbai.

7.  Vallabh Dongre (2013) Sikho sabak Pawaro, Satpuda Sanskriti Sansthan Bhopal.

8.  Pushtak Mera Betul. (2022). (n.p.): BFC Publications.

9.  Singh, K. S. (1998). India's Communities. India: Anthropological Survey of India.

 10. Singh, K. S. (1996). Communities, Segments, Synonyms, Surnames and Titles. India: Anthropological Survey of India. 1155

11. Rajesh Barange Pawar. (2017, July 6). Surnames In Pawar Community Bhoyar Pawar बैतूल, छिंदवाड़ा, वर्धा, पवार गोत्र. https://rajeshbarange.blogspot.com/2017/07/surnames-in-pawar-community-bhoyar.html

12. Genealogist (Barwa/Rao/Bhatt) - Rajkumar Saroth, Umaranala, Chhindwara, Madhya Pradesh, India.

13. Rajesh Barange Pawar, M. T. S. S. (2024). Kshatriya Pawar (72 clan): Journey from Malwa to Satpura (01 ed., Vol. 01) [English]. Lambert publishing.

14. The Central Provinces of India, 1901, 1911, 1921and 1931 Census.

 

शोधार्थी और लेखक:

1. राजेश बारंगे पंवारRajeshbarange00@gmail.com

2. प्रणय चोपड़ेpranaychopde123@gmail.com

3. राजेश बोबडेrajeshbobade10@gmail.com

4. माँ ताप्ती शोध संस्थानमुलताईmaa.tapti.shodh.sansthan@gmail.com

 क्षत्रिय पवार, भोयर-पवार समुदाय, पंवार राजपूत, 72 कुल पवार, भॉयरी भाषा, पवार गोत्र सूची, पवार उपनाम, मध्य भारत पवार, भॉयरी बोली, पंवार वंश, मालवा पंवार, बैतूल छिंदवाड़ा वर्धा पवार, १५वीं–१७वीं शताब्दी पंवार प्रवासन, भोयर-पट्टी इतिहास, राजपूताना मालवी बोली, सतपुड़ा पंवार, Maa Tapti Research Institute, पवारी शोध पत्रिका, Bhoyar Pawar Samaj

DOI- 10.5281/zenodo.14221110

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