*अग्नि देवता पवारों के अभिभावक और आराधक दोनों*
*अग्नि देवता को भगवान् राम द्वारा सीता जी को चित्रकूट में सौंपना अग्नि देवता की पावनता और पवित्रता का परिचायक*
*पवारों के घरों में आज भी शक्ति और कुलदेवी की पूजा सीता जी को नमन् करने का प्रयास*
भोपाल। पवारों के घरों में भ्रूण हत्या नहीं की जाती और बेटी को बोझ नहीं माना जाता यह सब अकारण नहीं है। पवारों के घरों में कुलदेवी का पूजन शक्ति का आराधन देवी सीता के प्रति सम्मान और श्रृद्धा प्रदर्शित करने का ही उपक्रम है।
रिश्तों की पावनता और पवित्रता बनाये रखने के लिए पवारों द्वारा आज भी अपनी बहन, बेटियों, भांजी, भतिजियों और कुछ घरों में बहुओं के प्रति पूरा आदर और सम्मान प्रदर्शित किया जाता है।
बहू को लक्ष्मी का दर्जा इसलिए भी दिया जाता है कि वह अपने साथ सौभाग्य लेकर आती है। उसके आगमन को लेकर दीपावली पर लक्ष्मी के आगमन की तरह प्रतीक्षा की जाती है और पूरे सम्मान के साथ उसका गृह प्रवेश कराया जाता है।
अग्नि वंशीय पवारों का अग्नि कुंड आबू से उत्पन्न होने का इतिहास में उल्लेख मिलता है। अग्नि कुंड अग्नि देवता का ही प्रतीक है। इस दृष्टि से अग्नि देवता पवारों के अभिभावक और आराधक दोनों हुए। गाँवों में पवारों के घरों में चूल्हे में आग दबाए रखने का प्रचलन रहा है। कंडे का एक टुकड़ा आग में दबा कर रख दिया जाता जिससे वह धीरे- धीरे सुलगता रहता और आग को सुरक्षित बनाए रखता। इससे चूल्हे पर रखे हंडे का पानी और चूल्हा सदैव गरम बना रहता और जब चाहे तब उनका उपयोग करने में सुविधा होती। इस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी अग्नि देवता का वास चूल्हे में बना रहता। एक तरह से चूल्हा घर का हवन कुंड होता। यही कारण है, चूल्हा
जलाने के पूर्व उसकी लिपाई-पुताई का प्रचलन हुआ करता था। भोजन पकाने के बाद चूल्हे में अग्नि देवता को पहला नैवेद्य अर्पित किया जाता था। आज भी कुछ घरों में यह परिपाटी जीवित है।
भगवान् राम सीता को अन्य किसी देवता को न सौंप अग्नि देवता को सौंपते हैं। भगवान् राम द्वारा प्रदर्शित यह विश्वास पवारों के लिए गर्व और गौरव का विषय है। आज भी पवारों द्वारा किसी के साथ विश्वास घात करने के उदाहरण नहीं मिलते। इन्द्र और उनके पुत्र जयंत की पद लोलुपता और कुदृष्टि से भगवान् राम भलीभाँति परिचित थे। इसलिए वे देवी सीता को अग्नि देवता को सौंपते हैं। इस तरह पवार भोज वंशीय होने के पूर्व अग्नि वंशीय हैं। हमें चाहिए हम अग्नि देवता को अपने अभिभावक और आराधक दोनों रुप में बराबर का सम्मान दें।
*सुखवाड़ा आश्रम, भोपाल* 9425392656
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