.
इंसान अपने नजरिये से ही ऊँचा उठता है
उसकी सोच एक ऐसे नजरिये को विकसित करती है
जिससे वो आगे बढ़ाता है
.
विचार गतिशील व भिन्न होते है...
.
इसका जीवंत उदाहरण है..
.
सब्जी की टोकरी में से हर व्यक्ति सब्जी छाटता है
और मजे की बात है कि
बिक भी पूरी जाती है..!
.
राजेश बारंगे पवार
.
#राजेश_बारंगे_पवार
सुखवाड़ा अप्रैल 2017 अंक से
इंसान अपने नजरिये से ही ऊँचा उठता है
उसकी सोच एक ऐसे नजरिये को विकसित करती है
जिससे वो आगे बढ़ाता है
.
विचार गतिशील व भिन्न होते है...
.
इसका जीवंत उदाहरण है..
.
सब्जी की टोकरी में से हर व्यक्ति सब्जी छाटता है
और मजे की बात है कि
बिक भी पूरी जाती है..!
.
राजेश बारंगे पवार
.
#राजेश_बारंगे_पवार
सुखवाड़ा अप्रैल 2017 अंक से
0 Comment to "नजरिये"
Post a Comment