Friday, 1 May 2020

नजरिये


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इंसान अपने नजरिये से ही ऊँचा उठता है
उसकी सोच एक ऐसे नजरिये को विकसित करती है
जिससे वो आगे बढ़ाता है
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विचार गतिशील व भिन्न होते है...
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इसका जीवंत उदाहरण है..
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सब्जी की टोकरी में से हर व्यक्ति सब्जी छाटता है
और मजे की बात है कि
बिक भी पूरी जाती है..!
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राजेश बारंगे पवार
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#राजेश_बारंगे_पवार
सुखवाड़ा अप्रैल 2017 अंक से

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