Saturday, 30 November 2019

अग्निवंशी पँवार


*ना करो निरर्थक वादविवाद!*

है लिखा "प्रमर" "परमार" ग्रंथ शिलालेखों पे
है लिखा "पंवार पोंवार" अंग्रेंजी साहित्य में
है चल पडा "पवार पोवार" मराठा काल से
"नाम" पर क्या रख्खा है निरर्थक वादविवाद में।

गये बिखर हम "मालवा"
"झाड़ी" "भोयर" पट्टी में
मालवापट्टी के "मालवा-पवार" 
झाड़ी पट्टी के "झाड़ी-पवार"
भोयरपट्टी के "भोयर-पवार"।

क्षेत्र अलग-अलग सो नाम क्षेत्रवार
दुर्गा देवी एक पर तेरे नाम एक सौ आठ
राष्ट्र एक पर नाम भारत इंडिया हिंदुस्थान
यही है भारतीय संस्कृति की पहचान।

प्रमर कहो या कहो परमार
पंवार कहो या कहो पवार
पोंवार कहो या कहो पोवार
भोयर-पवार कहो या कहो भोयर या पवार।


जिसकी जो मर्जी लिखो जाति नाम
ना करो नाहक निरर्थक खड़ा तुफान
समाज की सौहाद्रता ना करो   खराब
बनाये रखो सामाजिक एकता आबाद।

चाहे हो राजस्थानी उ.प्र.
गुजराती परमार
चाहे हो म. प्र., म. रा. छ.
गडी पवार/पोवार
चाहे हो उत्तर दक्षिण पुरब पश्चिम पॅंवार
है सब विक्रम भोज वंशी क्षत्रिय महान।

*---डॉ ज्ञानेश्वर टेंभरे*

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1 Response to "अग्निवंशी पँवार"

  1. You deliver a great message to our clan and our community in the form of this beautiful poem

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