*कोजागिरी*
अश्विन महिना की पुनवा
शरद रुतु को स्वागत मा
प्रकट भई से हासत चंद्रमा
बरसाय रही से अमृतधारा!
आकाश मा नाच रह्या सेत तारा
थंडी शितल से उडती हवा
प्रकट भई चांदनी जसी दीपमाला
बादर बिखराये रंगी-बेरंगी छटा!
गौरी बरसाये नई उमंग
शारदा बजाये मृदंग वीणा
वाग्देवी बहाये ज्ञान की गंगा
बरसाय रही से गायत्री प्रज्ञा!
----डॉ ज्ञानेश्वर टेंभरे
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