Sunday, 24 February 2019

पंवारी जीवन दर्शन RKP rahangdale

पंवारी जीवन दर्शन


आमि पंवार आजन जी।
हव जी हमी पोवार बि आजन जी
भूमसारे उठया बैल खाटया हेड़याँ,
गोबर कचरा ना आई माई न
सड़ा सारवण करिन जी
नीम पिसोन्डी अना परसा की
दातुन करया जी।
नित्य करम ल बि निपटया जी।
काहे का हामरा पुरखा लगत ,
साफ सफाई वाला पोवार होतीन जी।

पानतुना मा ल निंगरा हेड़ के,
चूल्हों मा काकी न पेटिस इष्तो।

एतरो माच राजा काका ,
साटा बाड़ी कन ल आयो
मोठ को काम उलसिर के
मुलकी जोड़ी ला खिचतो।

बघार्यो भात अना पीठ की रोटी पर,
हमरो संग मॉरिस हाथ।
मंघ भेली डाककन
पेवर दूध की चाय न देइस साथ।

असो मा च आयो हमरो कामदार पोट्या।
वोन बी डपटिस भुज्यो पापड़ संग
दूय बटकी पेज।

डोरा लक इशारो मा मोला बी कव्ह,
मोरो साटी अखि काई तरि त भेज।
ढोर चरावन जंगला जाबिन,
कव्ह न साहनो दादागो लक,
का मोला बि त धाड़
त देखाहु मि पहाड़ की
सेंडी पर लिजाय के
कसिक होसे ,
बाब्बाजी की दहाड़।

तब्ब मोला बी आभास भयो ,
गरिबी करावसे मेहमत हाड़तोड
पोट्या ल बि आस होती ,
वोला बि मिल्हे हाथ रोटी संग
सग्गो आम्बा की एक फोड़।



खाईन पिइन सबन ,
धरिन काम धंधा की बाट।
काइ कुई ल जिंदगी सरकsअ ,
चढ़ रही सेती सब उम्बरघाट।

अक्खा तीज मा करसा भर्या,
खाद की पेटी भरकेन ,
घुढ़ो ला बी कर दिया साफ।
बर बिहया मा घर मंगघ ,
एक झन बि जाहो तरि होहे माफ।

कर दिया मोहतुर भर दिया खार,
मंगघ रहिन सब सेजार पसार
इन्द्रासन लक बी भई बिनती बारंबार
मेघा बरसे चरो चरो ,अना
पानी न देइस भाउ साड़ साड़
यादि रहे दुबरो गिन ला ,
होतींन ऎन डाव दुय अषाड़।

सावन भादो लगत कमाया,
थर थर कापि सबचsअ की काया।
सतोड़ि वालो गिन न,
काई तरि त दम धरिन ,
पर गेंडवर गिन बाईsई
लगत पाव पड़ीन।

सकारी दुफारी  खेतsअ हिन्डअ,
किसानी को होतो काका असो कीड़ा।
खेत मा पानी भर्योच रव्हअ ,
ओकोच मा रव्ह वू जुगत भिड़ा।

गणपति गौर दशरा अना
धूमधाम ल मनाया दिवारी
ऎन डाव फसल देख के ,
खुश होतींन शेतकारी अना बेपारी।
सेठ न पुढ़ हच ल पैसा मोज देइ होतीस
आई होतींन पेढ़ी दर पेढ़ी का
ओका मुंशी ना बेपारी।

नवधानी मा धान की जगली अना,
सेति जंगली जनावर भरमार।
मार देहो त जितो जी माच मर जाहो
असि धमकी चमकी देसे हामरी सरकार।
पराय देनsअ पर मारनो नोको,
असो सांगन की नोहोती कोण्ही ल दरकार।



पोवारी खोपड़ी जोजोsजो जोजोsजो,
अना धगाड़ी संग पटाखा की आगाज।
जंगली चौपाया बि काई गुनत रहेती
पुढ़ सेती अक्लवर हिममतबाज।

ईरा धर केन आई माई
काटत होतींन धान 
बंद-शूर का मद्त ल पुंजना रच्या,
सजाय लिया सेजन खरयान।
पूष पुनवा तक रास उड़ावबीन,
तोरो दियो काइ कमी नाहाय भगवान।

जिन न बोई होतींन चना,
उनको हिंडनो बि भयो मना।
उजाड़ी रात मा मांकड़ चोर ,
हिन न उखाड़ीन तना।

बोइन जिन न बिन पानी का
ओलाहा गहुँ ,
रात बिरात म वोय,
चली बी जात होतीन
कहूँ का कहुँ।

सगड़ी सेकता बुजरुग बोलतअ
काया ला घसट रह्या सेजन आता
पर नाहजन काई कोढ़ी ।
साजरो नि लग आता बेटा मोला
जिंदगी बची रे मोरी थोड़ी,
आपरो बडडो दादा ल कव्हजो
मनसा असिक से मोरी का ,
ऎन डाव बच गयो त
नाहनो नाती ला बी
देखच लेहु आता चघता घोड़ी।

सररर भररर हवा चलsअ
होती नीरी थंडी ग़ार
कथड़ी ओढ़ के सायना कव्हत
परम् पूज्य  तू पपू
बेटा नोकोच जादा बघार

काप रहिसेन सबका ऐन्जा हाड़ा
बाड़ी बोया होता त होती आवाजाही
पर आबsअ सूनो पड़ीसे बाड़ा
जम के पड़ रहिसे करंजझा
ऎन जिंदगी ला मातामाय को
पंडा भगत बी नही समझा ।

आखरी मदन पर
संजोरी की आड़ी खड़ी न 
लगत बड़ाइस मान।
ढोला न कोठी मा दादा संग भर्या
हमी न बी धान

तोर पोपट बुरबार भइन त
अरसी लाखोरी खण्दया,
मुस्का डाक के
बूढ़गा बइल हिन ला
दावन मा खुट जवरअच फाँदया

नाहनसोली पुसटी अना
होती भारी मुतान
रह रह के वोय
झलक देत होतींन ,
का हमरो भरूसा नोको
रवजो रे किसान।

घर का अखि होतींन हीरा_मोती
सेजार का होतींन मामा_भाषया
इनला बी तबsअ ख़ूबच  ठास्या ।

छेल्ला पर होतींन पानीदार
घर काअदन गोरsहा
नोहोतींन काई नांगर का
न बख्खर का
पर दावन साटी बजरंगा
दूध पिवता बाढ़ छूटी उनला
जसो की बांस कटंगा ।

खान को न पान को
नोहतो कोई मना
गहाय लिया संग मा गहुँ ना चना ।
जरा जरा सो ला संघऱ के
हमी बी रह्या बन्या ठन्या ।

फसल पानी ल बिक बाक के
बेपारी ल लेइन माल मत्ता
साल भर को मसाला संग
लेइन कपड़ा लत्ता।






हिसाब भयो त सेठजी न
नाक पर को तष्मा हेड़ के
हाथ जोड़ बिनती करिस ।

दादा संग मोठा दूय दादा
संग म होतींन दूय बड्डओ दादा
भईन सब बमचक
का सोनो चांदी ल लकदक
धोती कुर्ता ल चकाचक
ऎन सेठ ल हाम्रो सिन
बाबालो अखि का पड़ी!!

बेपारी को मारफत
सबका महुँ धाड़न इतच् ,
कहकेन सेठ न लगाय दिस
पैसा की झड़ी।
जवर ऊभो होतो उ मुंशी कव्ह
संग देंनsअ सब मोठा महाजन
पुढह आय रहिसे पत्ता फड़ी।

जीव जिंदगानी को पालनहारो ,
बारो महीना सतरा ठन काम।
यादि रव्हसे भजन भगवान को,
धरमधनी ल हरेक श्याम।

विध्न हर्ता को देवयोग ल
सुयश मिल्हे आफुन सबला।
निज निवास म सुखी रव्हन
यादि राखना काई तरि हामला।
राम राम कहके हमी बी
हात जोड़ सेजन इतsअ सबला।

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