Saturday, 16 December 2023

72 गोत्र पवारो के गोत्र, कुलदेवी-देवता एवं वंश

 ७२ कुल पवारो के गोत्र, कुलदेवी-देवता एवं वंश    गोत्र- परिहार,  कुल देवता- विष्णु, कुलदेवी- चामुंडा,  वंश-अग्नि   गोत्र- चिकाने, देवासे, धारपुरे, राठउत, हजारे, पठारे, गाड़के, फरकाड़े, गिरहारे, लावड़े, डालू (डहारे), सवाई, ढोले, ऊंकार, टोपले, लावरी, माटे, कुल देवता- शंकर, कुलदेवी-दुर्गा,  वंश-अग्नि   गोत्र-...

पवारों की प्रशस्ति

पवारों की प्रशस्तिगोत्र लेकर चलने वालों में क्षत्रिय श्रेष्ठ है-भगवान बुद्धक्षत्रियों का उद्देश्य उदारता और दया है-चीनी यात्री हवेनसांग, 630 ई क्षत्रिय शक्तिशाली और बहादुर होते हैं और वे परम्परागत रीति रिवाजों का पालन करते हैं। राजपूत देशभक्त और कूलीन होते हैं-टॉड राजपूत महान सैनिक होते थे-कार्ल मार्क्स राजपूत भारतीय रक्षा पंक्ति की रीढ़ है- पं. जवाहरलाल नेहरु राजपूत...

Sunday, 10 December 2023

पवारी बोली- भाषा में उपलब्ध है प्रचुर मात्रा में लोक साहित्य

 *पवारी बोली- भाषा में  उपलब्ध है  प्रचुर मात्रा में लोक साहित्य* https://www.blogger.com/blog/posts/465678208159135636 *समाज सदस्यों द्वारा साहित्य सृजन में रुचि न लेने के कारण पवारी बोली- भाषा का विकास संभव न हो सका* बीसवीं सदी पवारी बोली- भाषा के संरक्षण एवं संवर्धन के रूप में जानी जाती है जिसमें पवारी लोक साहित्य का संरक्षण एवं संवर्धन किया गया। 21वीं सदी...

Saturday, 2 December 2023

पंवार नाम से जाने जाने वाले कुछ उपनाम निम्नलिखित हैं:

 पंवार नाम से जाने जाने वाले कुछ उपनाम निम्नलिखित हैं:1. गिरहारे/गिरारे2. पराड़कर/परिहार3. खरपुसे (केवल छिंदवाड़ा)4. बड़नगरे/नागरे/बन्नागरे5. घाघरे6. छेरके/शेरके (छिंदवाड़ा)7. कडवे8. पाठे/पाठा/पाठेकर9. डोंगरदिये/डोंगरे10. धारफोड/धारे/धारपूरे11. चौधरी12. माटे/माटेकर13. फरकाड़े14. गाडगे15. ढोटे/धोटे16. देशमुख17. खौसी/खावसी/कौशिक/खवसी/खवसे18. डिगरसे/दिगरसे/दिग्रसे19. भादे/भादेकर20....

Friday, 29 September 2023

Sunday, 3 September 2023

वर्तमान में परमार वंश की एक शाखा

 वर्तमान में परमार वंश की एक शाखा उज्जैन के गांव नंदवासला,खाताखेडी तथा नरसिंहगढ एवं इन्दौर के गांव बेंगन्दा में निवास करते हैं।धारविया परमार तलावली में भी निवास करते हैंकालिका माता के भक्त होने के कारण ये परमार कलौता के नाम से भी जाने जाते हैं।धारविया भोजवंश परमार की एक शाखा धार जिल्हे के सरदारपुर तहसील में रहती है। इनके ईष्टदेव श्री हनुमान जी तथा कुलदेवी माँ कालिका(धार)है|ये...

Pawer of Betul Chhindwara

According to historians, the Paramara (or Parmar) community, which originated in Agnikund, is believed to have existed approximately 2,500 years before the Common Era (BCE). This community traces its roots back to Mount Abu in Rajasthan, where, in ancient times, sages and ascetics, guided by the sage Vasishtha, created a sacred fire pit (agnikund). Through their efforts, they summoned...

पवार समाज अग्निकुंड से उत्पन्न

 पवार समाज अग्निकुंड से उत्पन्न इतिहासकारों के अनुसार करीबन 2500 वर्ष ईसा पूर्व पवार (परमार) जाति की उत्पत्ति माउंटआबू (राजस्थान) में अग्निकुंड से हुई। तत्कालीन दानव दैत्यों से परेशान ऋषि-मुनियों ने महर्षि वशिष्ठ के मार्गदर्शन में एक अग्निकुंड तैयार किया और अग्नि प्रज्जवलित कर एक मानव निकाला। इसका नाम परमार रखा और इसे संतों की रक्षा का दायित्व सौंपा। इसके बाद दूसरा मानव पैदा...