पवारों की प्रशस्ति
- गोत्र लेकर चलने वालों में क्षत्रिय श्रेष्ठ है-भगवान बुद्ध
- क्षत्रियों का उद्देश्य उदारता और दया है-चीनी यात्री हवेनसांग, 630 ई
- क्षत्रिय शक्तिशाली और बहादुर होते हैं और वे परम्परागत रीति रिवाजों का पालन करते हैं। राजपूत देशभक्त और कूलीन होते हैं-टॉड
- राजपूत महान सैनिक होते थे-कार्ल मार्क्स
- राजपूत भारतीय रक्षा पंक्ति की रीढ़ है- पं. जवाहरलाल नेहरु
- राजपूत जोखिम उठाने वाले और साहसी होते हैं-डॉ राधाकृष्णन्
- राजपूत हिन्दू समाज के रक्षक थे-डॉ मीनाक्षी जैन
- राम और कृष्ण के बाद दिलों पर राज करने वाले दो ही राजा हुए-राजा भोज और विकमादित्य जिनकी लोक गाथाएं राम और कृष्ण की लोकगाथाओं की तरह घर-घर में गाई व कही जाती है-महेश श्रीवास्तव
- शूरवीरता, तेज, धेर्य, चपलता, युद्धभूमि से नहीं भागने का स्वभाव और पुत्रतुल्य प्रजा की रक्षा का भाव क्षत्रियों का स्वाभाविक कर्म है। गीता, श्लोक, 43, अध्याय 48
REF- Sikho Sabak Pawaro सीखो सबक पवारो
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