परमार (पंवार) वंश की कई शाखाएँ हैं, जिनमें प्रमुख रूप से पंवार, सांखला, सोढ़ा, मोरी, चन्ना, वराह, हूण, डोडिया, ऊमठ, भाभा, बारड़ और अन्य शामिल हैं, जो राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तराखंड जैसे क्षेत्रों में फैली हुई हैं, और ये विभिन्न क्षेत्रों और शासकों के नाम पर हैं जैसे मालवा, आबू, गढ़वाल और नौकोटी मारवाड़.
प्रमुख शाखाएँ और उनके क्षेत्र/विशेषताएँ:
मालवा क्षेत्र: उज्जैन और धार के परमार शासक, जो भोज वंश के रूप में जाने जाते थे, जैसे भोज, उदादित्य.
राजस्थान:
सोढ़ा: नौकोटी मारवाड़ के संस्थापक धरणीवराह के वंशज, अमरकोट (पाकिस्तान) में भी शासन किया.
सांखला: सोढ़ा के भाई बाघ के वंशज, सच्चियाय माता से जुड़े.
मोरी: परमारों की प्राचीन शाखा, चित्तौड़ के मान मोरी से भी संबंधित.
डोडिया: 9वीं शताब्दी से पहले की शाखा.
कल्लावत, धोधिंग, बोया, देहलावत: राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में बसे हुए.
गढ़वाल (उत्तराखंड): गढ़वाल साम्राज्य पर शासन करने वाले पंवार, जैसे राजा भानु प्रताप.
विदर्भ/सतपुड़ा: भोयर पंवार के नाम से जाने जाते हैं, धार से स्थानांतरित हुए.
अन्य शाखाएँ: चन्ना, बीहल, बूंटा, सुमरा, ऊमठ, हूण, सांवत, कुंतल, हुरड़, सुजान, रबड़िया, और कई अन्य जो विभिन्न स्थानों और व्यक्तियों के नाम पर हैं.
प्रमुख पहचान:
कुलदेवी: सच्चियाय माता (मारवाड़) या कालिका माता (धार).
कुलदेवता: महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर.
उपाधियाँ/नाम: पंवार, पवार, पोवार, भोयर, पोवार.
परमार वंश की इन शाखाओं ने भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी पहचान बनाई और कई क्षेत्रों में शासन किया, जिससे उनकी ऐतिहासिक विरासत समृद्ध हुई है.
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