परमार वंश राजा भोज परमार वंश के नवे शासक थे । राजा भोज एक बहुत ही विद्वान, प्रतापी और शक्तिशाली शासक थे। राजा भोज एक सर्वगुण संपन्न शासक थे जिनके दरबार में कई विद्वान रहते थे। मध्य प्रदेश की वर्तमान राजधानी भोपाल को बसाने का श्रेय राजा भोज को ही जाता है। राजा भोज एक अच्छी कवि भी थे तथा उनके राज दरबार में देश-विदेश से बड़े बड़े कवि...
Thursday, 12 May 2022
Wednesday, 20 April 2022
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के पंवारों का इतिहास एवं वर्तमान:-
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के पंवारों का इतिहास एवं वर्तमान:- बैतूल जिले में भाट(रावजी )के मतानुसार पंवार समाज के पूर्वज धार नगरी से बैतूल आए थे। जिले में लगभग पंवारों के 200 गांव है। बैतूल जिले के पंवार अग्निवंशी है, पहले इन्हें भोयर पंवार से भी जाना जाता था इनका गोत्र वशिष्ठ है, प्रशाखा प्रमर या प्रमार है। ये पूर्ण रूप से परमार (पंवार) राजपूत...
पँवार/परमार वंश के दानवीर, महाप्रतापी , शौर्यवान राजा, जगदेव पंवार का इतिहास-
महानदानियो मे दो चार नाम ही प्रमुखता से लिए जाते हैं जिनमें जगदेव पँवार का नाम भी आता है । बलि ने अपने राज्य का दान दिया, कर्ण रोज कई मण सौना दान करता था लेकिन कलियुग मे सिर्फ जगदेव के बारे मे ही यह कथा प्रचलित है उन्होंने ने अपने राज्य और शीश दोनों का दान किया था । इसलिए कलियुग मे जगदेव से बड़ा दानी किसे भी नहीं माना गया है । संवत् इग्यारह इकांणवै, चैततीज रविवार । सीस...
अग्निवंशी पंवार
2500 वर्ष पूर्व पवार पंवार (परमार) जाति की उत्पत्ति माउंटआबू (राजस्थान) में अग्निकुंड से हुई। तत्कालीन दानव दैत्यों से परेशान ऋषि-मुनियों ने महर्षि वशिष्ठ के मार्गदर्शन में एक अग्निकुंड तैयार किया और अग्नि प्रज्जवलित कर एक मानय निकाला। इसका नाम परमार रखा और इसे संतों की रक्षा का दायित्व सौंपा। इसके बाद दूसरा मानव पैदा किया और इसका नाम सौलंकी तथा तीसरे मानव को पैदा कर उसका नाम चालुक्य...
पंवारो की शाखाएं
पंवारो की शाखाएं वर्तमान में परमार वंश की एक शाखा उज्जैन के गांव नंदवासला,खाताखेडी तथा नरसिंहगढ एवं इन्दौर के गांव बेंगन्दा में निवास करते हैं।धारविया परमार तलावली में भी निवास करते हैंकालिका माता के भक्त होने ...
पँवारी लोकगीत / भोयरी - संस्कार गीत- पांढरी की ओ माता-माय
पांढरी की ओ माता-माय / पँवारी
पांढरी की ओ माता-मायमऽ मानू तू हय भोरी।आओ-आओ माता-मायकरू तोरी बिनती आज की रातकरजो मराअ् घरअ् वासदिन खऽ लेजो कू-कू को रेलारात खऽ लेजो सहिर वास।।पाण्ढरी को रे हनुमान बाबामऽ मानू तू हयअ् भोरोआओ-आओ रे हनुमान बाबा।करू तोरी बिनती आज की रातकरजो मराअ् घरअ् वासदिन खऽ लेजो कूक को रेलारात खऽ लेजो सहिर वास।।
पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार:...
पँवारी लोकगीत / भोयरी - संस्कार गीत- भैय्या घरअ् भयो नंदलाल / पँवारी
भैय्या घरअ् भयो नंदलाल / पँवारी
भैय्या घरअ् भयो नंदलाल
काहे की डालू घुंगरी
हरो लिलो गहूँ कटाय
ओकी म डाल्हूँ घुंगरी
गांव भर खअ् बुलाहूँ, घुंगरी खिलाहूँ
बीर को बारसा मनाहूँ, बाटहूं मऽ ते घुंगरी
भैय्या घरअ् भयो बारो लाल, बाट्हूँ मऽ ते घुंगरी
भाई का कथन- चल चल बहिना गाय का कोठा
अच्छी-अच्छी गाय निवाड़ ले...बहिना बाई
बहन का कथन- पाँच बरस को बरद मनायो
का करू भैय्या तोरी...
Subscribe to:
Posts (Atom)
- Recent
- Weekly
- Comment
Recent
Weekly
-
Surnames In Pawar (bhoyar) Community 72 gotra उपरोक्त...
-
(माँ गढकालीका की आरती मैय्या करू गुढळली तोरी आरती हो माँ-२...
-
परमार एक राजवंश का नाम है, जो मध्ययुग के प्रारंभिक काल में...
-
७२ कुल पवारो के गोत्र , कुलदेवी-देवता एवं वंश ...
-
पवार-कूरावलि नामदेवराव सोनवाने अमरावती ( भूतपूर्व महासचि...
-
भोयरी / पवारी पवारी / भोयरी बैतूल, छिंदवाड़ा, वर्धा...