Tuesday, 12 March 2024

पवारों में दुःख में दायित्व बोध की दरकार

 पवारों में दुःख में दायित्व बोध की दरकारपवारों में सामाजिक सरोकार इतना प्रबल होता है कि सुख-दुःख के अवसरों पर एक-दूसरे रिश्तेदारों को सूचित करना मानो उनका अपना दायित्व हो।| दुःख के अवसर पर खबर आग की तरह फैलते देर नहीं लगती थी। पक्षियों में जैसे एक कौआ कॉव-कॉव करके सबको खबर करके एकत्रित कर लेता है, ठीक ऐसे ही पवारों में सबको सूचित करके एकत्रित कर लेने की प्रथा है। अधिकांश...

पवारों में बहन-बेटी-बहू के चरण स्पर्श

 बहन-बेटी-बहू के चरण स्पर्श पवारों में बहन, बेटी-बहू के चरण स्पर्श करने की प्रथा है। बहन, बेटी-बहू के चरण स्पर्श करने के पीछे यही भावना होती है कि उनके प्रति व्यक्ति के मन में कुभाव उत्पन्न न हो। घर की बहन, बेटी व बहू सदैव पवित्र बनी रहे ताकि उनकी कोख से जन्म लेने वाली पीढ़ियाँ सदैव पवित्र व पावन उत्पन्न हो सके | हर शुभ अवसर पर बहन, बेटी व बहू के चरण स्पर्श करके व्यक्ति...

पवारों में पैर पूजा

 पवारों में पैर पूजापवारों में पैर पूजे जाते हैं सिर नहीं | पैर आचरण, हृदय, श्रद्धा और आस्था के प्रतीक हैं। सिर ज्ञान का प्रतीक है। सिर का उठना अंहकार का प्रतीक है। सिर उठे नहीं इसलिए पवारों में पैर पूजने का प्रचलन चल पड़ा | घर के बड़े-बूढ़ों के पैर छूने की परम्परा उनके प्रति सम्मान भावना का प्रतीक है। उनके आगे हमारा अंहकार सिर न उठा पाए इसलिए उनके आगे सिर झुकाया जाता है।...