*भूले-बिसरे शब्द*
*रांधन घर (रसोई घर) में प्रयुक्त बरतन ,पात्र और उपकरण*
*तबेला,कुंडा* _ सब्जी बनाने के लिए प्रयुक्त मिट्टी का बरतन ।
*हांडी* - खीर ,खिचड़ी या पेज (दलिया) बनाने के लिए प्रयुक्त मिट्टी पात्र ।
*दोहनी*-कढ़ी , लप्सी,पेज बनाने या गाय का दूध दुहने के लिए प्रयुक्त मिट्टी पात्र।
*पाट्या,पाटिया*-कुरोड़ी बनाने के लिए या ताक (मही) रखने का मिट्टी का बड़ा हंडा ।
*मथानी,माथनी* -दही बिलोने के लिए प्रयुक्त यंत्र ।
*खापरी,खपरा* = रोटी सेंकने हेतु तवा जैसा प्रयुक्त मिट्टी का पात्र।
*गागड़ा,गगड़ा /गगड़ी*- घी,तेल आदि रखने हेतु प्रयुक्त मिट्टी के छोटे पात्र ।
*घाघरा,घाघर* = रस,दूध या पानी भरने के लिए प्रयुक्त पात्र।
*ढोंमना/सैनकी* = बर्तनों को ढकने के लिए गहरे/उथले ढक्कन।
*छिबला,शिबला* = चावल का मांड पसाने के लिए प्रयुक्त बांस की कमची से बना पात्र।
*तपोना* =पानी गर्म करने का पात्र,घड़ा ।
*पैना* =भाप में भोजन पकाने या बफाने के लिए प्रयुक्त मिट्टी पात्र।
*सील -लोढ़ा* - मिर्च -मसाला, चटनी पीसने व दाल बांटने के लिए प्रयुक्त पत्थर के पात्र।
*पनोची* - पानी के पात्र रखने के लिए बना लकड़ी का ऊंचा स्थान।
*चूल्हा-उल्हा-* भोजन पकाने हेतु बना मिट्टी का मुख्य उपकरण जिसमें लकड़ी व कंडे जलाकर आग उत्पन्न की जाती है।
चूल्हे की बगल में कम आंच पर भोजन पकाने के लिए बना सहायक उपकरण उल्हा कहलाता है जिसमें चूल्हे की अतिरिक्त आंच और ज्वाला से भोजन पकता है। उल्हे में ईंधन नहीं जलाया जाता।
*फूंकनी,फोंगरी* - बांस की पोली नली जिसे फूंककर आग परचाने,सुलगाने या प्रज्ज्वलित करने के लिए प्रयुक्त की जाती है।
*सराक,सलाक* - खापरी ,तवे से मोटी रोटी पलटने के लिए प्रयुक्त लोहे का उपकरण जिसका एक सिरा नुकीला और दूसरा चौड़ा और चपटा होता है।
*संकलन* -श्री सुताराम छेरके रिधोरा, परासिया, छिंदवाड़ा।
*आपका "सुखवाड़ा" ई-दैनिक और मासिक भारत।*
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