*भूले-बिसरे शब्द*
*कुएं से जुड़ी शब्दावली व पहेलियां*
*ससनी* - कुएं से पानी निकालने हेतु दो खूंटों पर आड़ा रखा मजबूत लकड़ी का आधार
*खूंट* -ससनी को आधार देने हेतु जमीन में गहरे गड़े और खड़े दो खूंट
*परतवाही*- परोता को गोलाकार घुमने हेतु दो छोरों पर लगे लकड़ी के दो आधार जिसमें परोता की कील फंसाई जाती है।
*परोता* - मोट की सोंड की रस्सी जिसपर चलकर पानी निकालने हेतु बनी गोल सिलेंडर नुमा लकड़ी की आकृति।
*चका* - लकड़ी का गोल चका जिसपर मोट का एट चलकर मोट से पानी निकालने के लिए प्रयुक्त।
*तोरनी* - ससनी के बीचों-बीच लगे लकड़ी के लगभग एक डेढ़ फीट के दो आधार जिनके ऊपरी छोर पर चके को फंसाने हेतु छेद होते हैं।
*कील* - चका और परोता के दोनों ओर लगी लोहे की मजबूत राड जिनके सहारे वे तोरनी और परतवाही से जुड़कर गोलकार घुमते हैं।
*समदूर* - एट से समान दूरी पर चलने वाली मोटी की सोंड को थामी रस्सी।
*मोट* - कुएं से पानी निकालने वाला चमड़े या टीन चादर का बना गोलाकार कंटेनर।
*डांड* - पानी निकासी के लिए खेत में बनी नाली।
*लांघी* - पत्थरों की सहायता से बना ऊंचा अवरोधक।
*जूपना* - बैलों को जोतने के लिए प्रयुक्त मोटी रस्सी।
*जोत* - बैलों को नियंत्रित करने हेतु जुवाड़े के दोनों छोर पर बंधी बैलों के गले में बांधी जाने वाली रस्सी (जोत)।
*थारला* - ढोर -जानवरों को पानी पिलाने के लिए बनाई गई चौड़ी,गहरी और ऊंची नाली जिसे जल संग्रहन हेतु समय समय पर खोला व बांधा जा सके।
*धाव* - मोट से पानी निकालने हेतु बैलों को आगे पीछे चलने के लिए प्रयुक्त ढलान युक्त स्थान।
*डोहन* - लगभग एक हाथ चौड़ी और तीन हाथ लम्बी लकड़ी की उथली नाली जिसपर सोंड से आसानी से पानी उड़ेला जा सके।
*कोंड* - मोट को लटकाने के लिए प्रयुक्त मजबूत गोलाकार रिंग।
*नथनी* - सोंड के एक छोर पर चार छेदों में लगी रस्सी जो समदूर से जुड़ती है।
*कुएं से जुड़ी कुछ पहेलियां*
१. इत सी जाय उगी मुगी,उत सी आवय गाल फुगी।
२. सर सपट गप गाय, तीन मुण्ड दस पाय।
आठ आटानी,बारा बेनी,दो तोरनी,चार चौकड्या।
३.सर सराटा ऊपर कांटा,जी नी चिह्ने,ओको बाप मराठा।
*आपका सुखवाड़ा ई-दैनिक और मासिक भारत।*
1650 के आसपास, शिवजी के दौर में पंवारो की क्या स्थिति थी???
ReplyDelete1400 से 1900 तक क्या कोई पवार राजा हुए जो बहोत प्रसिद्ध हुए??