Sunday, 12 October 2025

🗺️ A Bit of Linguistic Cartography to Brighten Your Day

🗺️ A Bit of Linguistic Cartography to Brighten Your Day

This captivating map traces the wanderings of the word “camel” 🐫 across the Old World — drifting through deserts, echoing along trade routes, and finding new homes in distant tongues. From the ancient Semitic جمل (jamal / gamal) to the Turkic تۆگە (töge / deve/ tebe / töbö), each form is a footprint in the sand of cultural exchange.

The camel — timeless symbol of endurance and journey — carried more than silk and spice upon its back. It carried words themselves, linking languages and peoples from Arabia to the heart of the Silk Road.

#LinguisticCartography #CamelWords #HistoricalLinguistics #LanguageMap #Etymology #SilkRoad #CulturalExchange #LexicalGeography #EurasianBookshelf

Friday, 19 September 2025

सुखवाड़ा की शोधपरक और बोधपरक प्रस्तुति-*अग्नि देवता पवारों के अभिभावक और आराधक दोनों*

सुखवाड़ा की शोधपरक और बोधपरक प्रस्तुति-
*अग्नि देवता पवारों के अभिभावक और आराधक दोनों* 

*अग्नि देवता को भगवान् राम द्वारा सीता जी को चित्रकूट में सौंपना अग्नि देवता की पावनता और पवित्रता का परिचायक*

*पवारों के घरों में आज भी शक्ति और कुलदेवी की पूजा सीता जी को नमन् करने का प्रयास*
भोपाल। पवारों के घरों में भ्रूण हत्या नहीं की जाती और बेटी को बोझ नहीं माना जाता यह सब अकारण नहीं है। पवारों के घरों में कुलदेवी का पूजन शक्ति का आराधन देवी सीता के प्रति सम्मान और श्रृद्धा प्रदर्शित करने का ही उपक्रम है। 

रिश्तों की पावनता और पवित्रता बनाये रखने के लिए पवारों द्वारा आज भी अपनी बहन, बेटियों, भांजी, भतिजियों और कुछ घरों में बहुओं के प्रति पूरा आदर और सम्मान प्रदर्शित किया जाता है। 

बहू को लक्ष्मी का दर्जा इसलिए भी दिया जाता है कि वह अपने साथ सौभाग्य लेकर आती है। उसके आगमन को लेकर दीपावली पर लक्ष्मी के आगमन की तरह प्रतीक्षा की जाती है और पूरे सम्मान के साथ उसका गृह प्रवेश कराया जाता है। 

अग्नि वंशीय पवारों का अग्नि कुंड आबू से उत्पन्न होने का इतिहास में उल्लेख मिलता है। अग्नि कुंड अग्नि देवता का ही प्रतीक है। इस दृष्टि से अग्नि देवता पवारों के अभिभावक और आराधक दोनों हुए। गाँवों में पवारों के घरों में चूल्हे में आग दबाए रखने का प्रचलन रहा है। कंडे का एक टुकड़ा आग में दबा कर रख दिया जाता जिससे वह धीरे- धीरे सुलगता रहता और आग को सुरक्षित बनाए रखता। इससे चूल्हे पर रखे हंडे का पानी और चूल्हा सदैव गरम बना रहता और जब चाहे तब उनका उपयोग करने में सुविधा होती। इस तरह पीढ़ी दर पीढ़ी अग्नि देवता का वास चूल्हे में बना रहता। एक तरह से चूल्हा घर का हवन कुंड होता। यही कारण है, चूल्हा 
जलाने के पूर्व उसकी लिपाई-पुताई का प्रचलन हुआ करता था। भोजन पकाने के बाद चूल्हे में अग्नि देवता को पहला नैवेद्य अर्पित किया जाता था। आज भी कुछ घरों में यह परिपाटी जीवित है। 

भगवान् राम सीता को अन्य किसी देवता को न सौंप अग्नि देवता को सौंपते हैं। भगवान् राम द्वारा प्रदर्शित यह विश्वास पवारों के लिए गर्व और गौरव का विषय है। आज भी पवारों द्वारा किसी के साथ विश्वास घात करने के उदाहरण नहीं मिलते। इन्द्र और उनके पुत्र जयंत की पद लोलुपता और कुदृष्टि से भगवान् राम भलीभाँति परिचित थे। इसलिए वे देवी सीता को अग्नि देवता को सौंपते हैं। इस तरह पवार भोज वंशीय होने के पूर्व अग्नि वंशीय हैं। हमें चाहिए हम अग्नि देवता को अपने अभिभावक और आराधक दोनों रुप में बराबर का सम्मान दें। 
*सुखवाड़ा आश्रम, भोपाल* 9425392656

Tuesday, 2 September 2025

Gotras of the Pawar / Bhoyar Pawar / Bhoyar Caste and Their Variations By Rajesh Barange Pawar, Pranay Chopde ( पवार /भोयर पवार / भोयर जाति के गोत्र एवं उनके अपभ्रंश ------ राजेश बारंगे पंवार , प्रणय चोपड़े,)

 


पवार /भोयर पवार / भोयर जाति के गोत्र एवं उनके अपभ्रंश

राजेश बारंगे पंवार, प्रणय चोपड़े,

 

क्षत्रिय पवार, जिसे पवार, भोयर या भोयर पवार के नाम से भी जाना जाता है, एक क्षत्रिय (राजपूत) जाति है। हिंदू वैदिक वर्ण व्यवस्था के अनुसार, यह जाति क्षत्रिय वर्ण में आती है। ये मूल रूप से मालवा के राजपूतों के वंशज हैं, जो राजस्थान, गुजरात, सिंध और भारत के अन्य क्षेत्रों से प्रवास करके मालवा में आकर बसे थे। वर्तमान में इनका प्रमुख निवास मध्य प्रदेश के बैतूल, छिंदवाड़ा और पांढुर्णा जिलों तथा महाराष्ट्र के वर्धा और नागपुर जिलों में है। यह 72 कुलों वाला पवारों का समूह 16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच मालवा से बैतूल में प्रवासित हुआ और वहां से धीरे-धीरे छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, वर्धा, अमरावती  नागपुर भोपाल इंदौर और रायपुर बिलासपुर जिलों में फैल गया।

 

भोयर पवारों के 72 गोत्र इस प्रकार हैं:


1. बारंगिया / बारंग्या / बारंगा / बारंगे

2. बागवान / भोयर / भुईहार

3. बोगाना / बैंगने / बोगा

4. बरखेड़िया / बरखाड्या / बरखेडे / बरखाडे

5. बारबुहारा / बारबुहारे

6. बड़नगरिया / बड़नगरया / बडनगरे / बन्नगरे / नागरे

7. भादिया / भादय्या / भादया/ भादे / भादेकर

8. बोबाट / भोभाट / भोभटकर / बोभाट / बोभाटकर

9. बोबड़ा / बोबड्या / बोबड़े / बोबाड़े

10. बुहाड़िया / बुवाड्या / बोवाड्या / बुआड्या / भोहाड्या / बुवाडे / बोवाड़े / बोआड़े / भोहाडे

11. बरगाड़िया / बिरगड्या / बिरगड़े / बिरगाड़े / बिरखाड़े / वीरगाड़े / वीरखाड़े / वीरखड़े / बिडगड़े / बिसेन

12. चोपड़िया / चोपड्या / चोपड़े / चोपड़ा / चोपाडे

13. चौधरी

14. चिकानिया / चिकनिया / चिकन्या / चिकान्या / चिकने / चिकाने / चनखार / चनखर / चकनार / चखनर

15. ढुंढारिया / डंडारे / डंढारे / डंडाले / दंडाले

16. डालू / डाला / डहारे / डाले / डकारे

17. देवासिया / देवास्या / देवासे

18. देशमुख

19. धारफोड़िया / धारपुरे / धारे / धारफोड़े

20. ढोटा / ढोटया / धोटे / ढोटे

21. ढोंडी

22. ढोबारिया / ढोबारया / डोबारया / ढोबले / ढोबाले / ढोबारे / डोबले / डोबाले / डोबारे,

23. ढोलिया / ढोल्या / ढोले

24. डिगरसिया / डिगरस्या / डिगरसे / डिगर्से / डिग्रसे / दीग्रसे

25. डोंगरदिया / डोंगरया / डोंगरदिए / डोंगरे / डोंगरदे / डोंगरकर / डोंगरदेव

26. दुखी / दुर्वे / दु:खी / दुख्खे

27. फरकाड़िया / फरकाड्या / फरकाड़े / फरकासे / फरखासे / फरकसे

28. गाड़किया / गाखरे / गाकरे

29. गागरिया / गाडगे / गागरे / आगरे / गागड़े

30. गाडरी / गाडरया / गडरे / गधडे / गद्रे / गादड़े / गाडरे / काटोले / काटवले

31. घागरे

32. गिरहारिया / गिरहारया / गिरहारे / गिरारे / गिराले / गुसाई

33. गोंदिया

34. गोहितिया / गोहित्या / गोहिते / गोहते / गोयरे / गोहिता / गोहाटे / गोयते

35. गोरिया / गोरया / गोरे

36. हजारिया / हजारया / हजारे

37. हिंगवा / हिंगवे

38. कालभोर / कालभूत्या / कालभूत / कालभौर

39. करदातिया / करदात्या / करदाते / दाते

40. कड़वा / कड़वे / कड़वेकर / कडू / कडूकर

41. कामड़ी

42. कसाई / कासलीकर / कसारे / कास्लेकर / खसारे / केसलीकर

43. खौसी / खौसे / खवसे / खवासे / कौशिक / खवशिक / खवसकर

44. खपरिया / खपरया / खापरे / खपरे / खपरिए

45. खरगोसिया / खारफुसे / खुसखुसे / खरफसे / खारखुसे /खारखुसा / खरखुसे / खनखुसरे

46. किरंजकर / करंजकर

47. किनकर / किनेकर / किंकर

48. कोड़िलिया / कोड़ल्या / कोड़ले / कोरडे

49. लबाड़ / लबड़े

50. लावरी

51. लाडकिया / लाडके

52. लोखंडिया / लोखंड्या / लोखंडे

53. माटिया / माट्या / माटे

54. मानमोड़िया / मानमोड्या / मानमोड़े / मानमुड़े

55. मुनी / मुन्ने / मुने

56. नाडीतोड़

57. उकार / ओंकार / ओमकार

58. पठाडिया / पठाड्या / पठाडे / राखड़े

59. पड़ीयार / परिहार / पराड़कर / पराड़ / पड्याड़ / पड़िहाड़ / पड़ीमार / प्रतिहार

60. पाठा / पाठे / पाठेकर / पथे

61. पिंजारा / पिंजारया / पिंजारे / पिंजरकर / पिंजरा

62. रावत / राऊत

63. रबड़िया / रबड्या / रबडे / राबडे

64. रमधम / रमधमे

65. रोलकिया / रोड़ल्या / रोडले

66. सरोदिया / सरोदया / सरोदे / सरोदा

67. सवाई

68. शेरकिया / शेरक्या / शेरके / छेरके

69. टावरी / ठवरी / ठवरे / ठवले /

70. ठुस्सी

71. टोपरिया / टोपल्या / टोपले

72. उकड़लिया / उकड़ल्या / उकड़ले / उधड़े / उकंडे / उकड़ते / उकर्ले / उघड़े



# कुछ अतिरिक्त अपभ्रंश जिनका मूल गोत्र मालूम नहीं है - कुहिके, भुसारी, पेंधें, भोंगाड़े। यह चार गोत्र भी पवारों के 72 गोत्रों में से कुछ गोत्रों के अपभ्रंश हैं, किंतु यह किस गोत्र के अपभ्रंश हैं और इनका मूल गोत्र क्या है, यह ज्ञात नहीं है। यह शोध का विषय है और इसके ऊपर शोध जारी है।

 गोत्रों के बदलने के पीछे कई ऐतिहासिक, भौगोलिक, और भाषाई कारण रहे है



कुछ अतिरिक्त अपभ्रंश जिनका मूल गोत्र मालूम नहीं है - कुहिके, भुसारी, पेंधें, भोंगाड़े ये चार गोत्र भी पवारों के 72 गोत्रों में से कुछ गोत्रों के अपभ्रंश हैं, किंतु यह किस गोत्र के अपभ्रंश हैं और इनका मूल गोत्र क्या है, यह ज्ञात नहीं है। यह शोध का विषय है और इस पर शोध जारी है।

भोयर पवार जाति केवल ऊपर दिए गए 72 गोत्रों तक सीमित है। इन 72 गोत्रों के अलावा पवार (भोयर पवार) जाति में कोई अन्य गोत्र नहीं है। पुराने ग्रंथों और लेखों में, उस समय पवारों के बारे में सीमित जानकारी या जानकारी के अभाव के कारण, गोत्रों की सूची में कई त्रुटियां हुईं। परिणामस्वरूप, ऐसे कई गोत्र भी सूचीबद्ध कर दिए गए जो वास्तव में पवार जाति से संबंधित नहीं हैं।

जैसा कि हमने अब तक पवारों के गोत्रों की सूची में देखा है, समय और स्थान में बदलाव के चलते पवारों के गोत्रों के कुछ अपभ्रंश भी हुए हैं। गोत्रों के अपभ्रंश होने के पीछे कई ऐतिहासिक, भौगोलिक और भाषाई कारण रहे हैं।

कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

 

 1. मालवा से सतपुड़ा क्षेत्र में माइग्रेशन :

·         16वीं से 18वीं शताब्दी के बीच मालवा के पंवार राजपूत सतपुड़ा के बैतूल, मुलताई, और विदर्भ के क्षेत्रों में आकर बसे। 

·         इस प्रवास के दौरान गोत्रों के उच्चारण और लिखने के तरीके में बदलाव हुए। 

·         बैतूल (मुलताई) से पांढुर्ना, सौसर, और छिंदवाड़ा की ओर जाने वाले पंवारों के गोत्र में स्थानीय भाषाओं के प्रभाव से अपभ्रंश हुआ। 

2. मराठी भाषा का प्रभाव :

·         महाराष्ट्र के निकटवर्ती क्षेत्र (पांढुर्ना, कारंजा, नागपुर) में मराठी भाषा का प्रभाव गोत्रों के नामों पर पड़ा। 

·         मराठी भाषा में उच्चारण और व्याकरण के कारण हिंदी गोत्रों को मराठी शैली में लिखा और बोला जाने लगा।

 3. अंग्रेजी में लिखने के कारण परिवर्तन :

·         गोत्रों को जब अंग्रेजी में लिखने की प्रक्रिया शुरू हुई, तब उच्चारण और वर्तनी में बदलाव आया। 

·         इसी प्रकार अन्य गोत्रों में भी अंग्रेजी लिप्यंतरण के कारण बदलाव देखा गया।

 4. भाषाई और व्याकरणिक प्रभाव :

·         हिंदी और मराठी व्याकरण के भिन्न नियमों और क्षेत्रीय शब्दों के उपयोग के कारण गोत्रों में परिवर्तन हुआ। 

सामाजिक पहचान और स्वीकृति: 

  समुदायों ने स्थानीयता के साथ अपनी पहचान को जोड़ने के लिए गोत्रों के नाम में छोटे-छोटे बदलाव स्वीकार किए। 

अध्ययन का महत्व:

पंवार समुदाय के गोत्रों के इस विकास और बदलाव को समझना न केवल उनके इतिहास को संरक्षित करने का माध्यम है, बल्कि उनके सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई प्रभावों का अध्ययन भी है। यह अध्ययन इस बात को रेखांकित करता है कि कैसे भाषाई और भौगोलिक परिवर्तन किसी भी समाज की पहचान को प्रभावित कर सकते हैं।

 

क्र.

मूल गोत्र

प्रमुख वेरिएंट्स

परिवर्तन श्रेणी

संक्षिप्त व्याख्या

1

बारंगिया

बारंग्या, बारंगा, बारंगे

मराठी प्रभाव

‘–या’ ‘–गा’/‘–गे’

2

बागवान

भोयर, भुईहार

सामाजिक उपनाम

संदर्भानुसार प्रयुक्त नाम

3

बोगाना

बैंगने, बोगा

भौगोलिक प्रवास

गाना’ ‘गने’ ध्वनि बदल

4

बरखेड़िया

बरखाड्या, बरखेडे, बरखाडे

मराठी प्रभाव

‘–ड़िया’ ‘–ड़्या’/‘–डे’

5

बारबुहारा

बारबुहारे

संक्षेपण

‘–हारा’ ‘–हारे’

6

बड़नगरिया

बड़नगरया, बडनगरे, ब्नगरे, नागरे

लिप्यंतरण , भाषाई सरलीकरण

‘–रिया’ ‘–रेया’

7

भादिया

भादय्या, भादया, भादे, भादेकर

क्षेत्रीय उच्चारण

‘–या’ ‘–ए’कर

8

बोबाट

भोभाट, भोभटकर, बोभाट, बोभाटकर

मराठी प्रभाव

‘–बटिया’ ‘–बट’कर

9

बोबड़ा

बोबड्या, बोबड़े, बोबाड़े

लिप्यंतरण

‘–ड़ा’ ‘–डे’

10

बुहाड़िया

बुवाड्या, बोवाड्या, बुआड्या, भोहाड्या, बुवाडे, बोवाड़े, भोहाडे

भाषाई सरलीकरण

‘–डिया’ ‘–ड्या’/‘–डे’

11

बरगाड़िया

बिरगड्या, बिरगड़े, बिरगाड़े, बिरखाड़े, वीरगाड़े, वीरखाड़े, बिसेन

सामाजिक अनुकूलन

बरगाड़े’ ‘बिरगाड़े’

12

चोपड़िया

चोपड्या, चोपड़े, चोपड़ा, चोपाडे

मराठी प्रभाव

‘–ड़िया’ ‘–डे’

13

चौधरी

चौधरी

स्थिर

कोई परिवर्तन नहीं

14

चिकानिया

चिकनिया, चिकन्या, चिकान्या, चिकने, चिकाने, चनखार, चकनार

क्षेत्रीय उच्चारण

‘–निया’ ‘–ने’

15

ढुंढारिया

डंडारे, डंढारे, डंडाले, दंडाले

सामाजिक अनुकूलन

ढुंढारिया’ ‘डंडारे’

16

डालू

डाला, डहारे, डाले, डकारे

लिप्यंतरण

‘–लू’ ‘–ला’

17

देवासिया

देवास्या, देवासे

संक्षेपण

‘–सिया’ ‘–से’

18

देशमुख

देशमुख

स्थिर

कोई परिवर्तन नहीं

19

धारफोड़िया

धारपुरे, धारे, धारफोड़े

लिप्यंतरण, क्षेत्रीय उच्चारण

‘–ड़िया’ ‘–ड़े’रे

20

ढोटा

ढोटया, धोटे

संक्षेपण

‘–टा’ ‘–टे’

21

ढोंडी

ढोंडी

स्थिर

कोई परिवर्तन नहीं

22

ढोबारिया

ढोबारया, डोबारया, ढोबले, ढोबाले, ढोबारे

क्षेत्रीय उच्चारण

‘–रिया’ ले‘ ‘रे

23

ढोलिया

ढोल्या, ढोले

संक्षेपण

‘–लिया’ ‘–ले’

24

डिगरसिया

डिगरस्या, डिगरसे, डिगर्से, डिग्रसे, दीग्रसे

लिप्यंतरण

‘–सिया’ ‘–से’

25

डोंगरदिया

डोंगरया, डोंगरदिए, डोंगरे, डोंगरदेव, डोंगरकर

प्रवास, मराठी प्रभाव

‘–दिया’ रे ‘–दे’, ‘दिए

26

दुखी

दुर्वे, दु:खी, दुख्खे

क्षेत्रीय उच्चारण

‘–खी’ ‘–खे’

27

फरकाड़िया

फरकाड्या, फरकाडे, फरकासे, फरखासे, फरकसे

सामाजिक अनुकूलन

‘–ड़िया’ ‘–ड़े’

28

गाड़किया

गाखरे, गाकरे

संक्षेपण

‘–किया’ खरे ‘–करे’

29

गागरिया

गाडगे, गागरे, आगरे, गागड़े

मराठी प्रभाव

‘–रिया’ ‘–गे’ड़े

30

गाडरी

गाडरया, गडरे, गधडे, गादड़े, काटोले, काटवले

लिप्यंतरण, स्थानीय ध्वनि

विविध उच्चारण परिवर्तन

31

घागरे

घागरे

स्थिर

कोई परिवर्तन नहीं

32

गिरहारिया

गिरहारया, गिरहारे, गिरारे, गिराले, गुसाई

क्षेत्रीय उच्चारण

‘–रिया’ ‘–रे’

33

गोंदिया

गोंदिया, गोंदिया

लिप्यंतरण

अपेक्षाकृत स्थिर; अंग्रेज़ी Var.

34

गोहितिया

गोहित्या, गोहिते, गोहते, गोयरे, गोहाटे, गोयते

मराठी प्रभाव

‘–तिया’ ते ‘–टे’/'–टे'

35

गोरिया

गोरया, गोरे

संक्षेपण

‘–रिया’ ‘–रे’

36

हजारिया

हजारया, हजारे

क्षेत्रीय उच्चारण

‘–रिया’ ‘–रे’

37

हिंगवा

हिंगवे

लिप्यंतरण

‘–वा’ ‘–वे’

38

कालभोर

कालभूत्या, कालभूत, कालभौर

सामाजिक अनुकूलन

‘–भोर’ ‘–भूत’

39

करदातिया

करदात्या, करदाते, दाते

संक्षेपण

‘–तिया’ ‘–ते’

40

कड़वा

कड़वे, कड़वेकर, कडू, कडूकर

लिप्यंतरण

‘–वा’ ‘–वे’; ‘–कर’ जोड़

41

कामड़ी

कामड़ी

स्थिर

कोई परिवर्तन नहीं

42

कसाई

कासलीकर, कसारे, कास्लेकर, खसारे, केसलीकर

मराठी प्रभाव

‘–आई’ ‘–आरे’ ‘–कर’ जोड़

43

खौसी

खौसे, खवसे, खवासे, कौशिक, खवशिक, खवसकर

सामाजिक अनुकूलन

‘–सी’ ‘–से’

44

खपरिया

खपरया, खापरे, खपरे, खपरिए

संक्षेपण

‘–रिया’ ‘–रे’

45

खरगोसिया

खारफुसे, खुसखुसे, खरफसे, खारखुसे, खरखुसे, खनखुसरे

लिप्यंतरण, स्थानीय उच्चारण

‘–गोसिया’ ‘–फुसे’खुसे

46

किरंजकर

करंजकर

लिप्यंतरण

‘–झकर’ ‘–जकर’

47

किनकर

किनेकर, किंकर

संक्षेपण

सरल रूपांतरण

48

कोड़िलिया

कोड़ल्या, कोड़ले, कोरडे

मराठी प्रभाव

‘–लिया’ ‘–ल्या’/‘–ले’

49

लबाड़

लबडे

संक्षेपण

–ाड़’ ‘–डे’

50

लावरी

लावरी

स्थिर

कोई परिवर्तन नहीं

51

लाडकिया

लाडके

संक्षेपण

‘–किया’ ‘–के’

52

लोखंडिया

लोखंड्या, लोखंडे

लिप्यंतरण

‘–डिया’ ‘–डे’

53

माटिया

माट्या, माटे

संक्षेपण

‘–टिया’ ‘–टे’

54

मानमोड़िया

मानमोड्या, मानमोड़े, मानमुड़े

क्षेत्रीय उच्चारण

‘–या’ ‘–ए’

55

मुनी

मुन्ने, मुने

संक्षेपण

‘–नी’ ‘–ने’

56

नाडीतोड़

नाडीतोड़

स्थिर

कोई परिवर्तन नहीं

57

उकार

ओंकार, ओमकार

लिप्यंतरण

उ’ ‘ओ’

58

पठाडिया

पठाड्या, पठाडे, राखड़े

लिप्यंतरण

‘–डिया’ ‘–डे’

59

पड़ीयार

परिहार, पराड़कर, पड्याड़, पड़िहाड़, पड़ीमार, प्रतिहार

दस्तावेज़ी त्रुटियाँ

अनेक वैरिएंट्स

60

पाठा

पाठे, पाठेकर, पथे

संक्षेपण

‘–ठा’ ‘–ठे’

61

पिंजारा

पिंजारया, पिंजारे, पिंजरकर

सामाजिक अनुकूलन

‘–रा’ ‘–रे’

62

रावत

राऊत

लिप्यंतरण

‘a’ ‘au’

63

रबड़िया

रबड्या, रबडे, राबडे

संक्षेपण

‘–ड़िया’ ‘–डे’

64

रमधम

रमधमे

लिप्यंतरण

‘–धम’ ‘–धमे’

65

रोलकिया

रोड़ल्या, रोडले

मराठी प्रभाव

‘–किया’ ‘–कले’

66

सरोदिया

सरोदया, सरोदे, सरोदा

संक्षेपण

‘–दिया’ ‘–दे’

67

सवाई

सवाई

स्थिर

कोई परिवर्तन नहीं

68

शेरकिया

शेरक्या, शेरके, छेरके

क्षेत्रीय उच्चारण

‘–किया’ ‘–के’

69

टावरी

ठवरी, ठवरे, ठवले

सामाजिक अनुकूलन

‘–वरी’ ‘–रे’ले

70

ठुस्सी

ठुस्सी

स्थिर

कोई परिवर्तन नहीं

71

टोपरिया

टोपर्या, टोपले, टोपर

प्रवास, भाषाई सरलीकरण

‘–рия ‘–र्या’ ‘–ले’; ‘–ияहटाया

72

उकड़लिया

उकड़ल्या, उकड़ले, उधड़े, उकंडे, उकड़ते, उकर्ले, उघड़े

क्षेत्रीय उच्चारण, लिप्यंतरण

‘–लिया’ ‘–ल्या’/‘–ले’; ‘ध्वनि सरलीकरण’


निष्कर्ष : 

गोत्रों में परिवर्तन एक स्वाभाविक प्रक्रिया थी, जो मुख्य रूप से माइग्रेशन, भाषाई प्रभाव, और अंग्रेजी लिप्यंतरण से प्रभावित हुई। यह पंवार समाज के सामाजिक और सांस्कृतिक अनुकूलन का प्रमाण है।

REFERENCES:


1.   पवार कुल दर्शन. (1984). कृष्णराव बालाजी पवार (संपादक), पवार संदेश, अंक 01. नागपुर: पवार युवक संगठन.

2.   पवार समाज: एक सिंहावलोकन. (1984). डॉ. ज्ञानेश्वर टेंभरे, पवार संदेश (1984-2000). नागपुर: पवार युवक संगठन, पृष्ठ 13-22.

3.   मिलन. (1984). पवार संदेश, अंक 01. नागपुर: पवार युवक संगठन, पृष्ठ 23-27.

4.   टेंभरे, रामकिशोर. (1985). पवारी. पवार संदेश, अंक 02. नागपुर: पवार युवक संगठन.

5.   पवार क्षत्रिय समाज उपनाम. (1986). पवार संदेश, अंक 03. नागपुर: पवार युवक संगठन.

6.   सोनवाने, नामदेवराव. (1990). पवार-कुरावली. पवार संदेश. नागपुर: पवार युवक संगठन.

7.   पवार का इतिहास. (1995). पवार संदेश, अंक 12. नागपुर: पवार युवक संगठन.

8.   टेंभरे, डॉ. ज्ञानेश्वर. (1999). पवार जाति के ऐतिहासिक तथ्य. पवार संदेश. नागपुर: पवार युवक संगठन.

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