अतिशयोक्ति नहीं हकीकत -
अपने कर्मों से लिखी अपने जीवन की नई इबारत -
अपने कर्मों से लिखी अपने जीवन की नई इबारत -
आज भी भारतीय महिलाएं अच्छे घर और वर के लिए शिव पार्वती का व्रत रखती हैं और उन्हें ही आदर्श गृहस्थ मानती है। आज यदि किसी ऐसी जोड़ी की कल्पना की जा सकती है तो वह जोड़ी है श्री कृष्णकुमार डोबले और श्रीमती निवेदिता डोबले की जिन्होंने अपने कर्मों से अपने जीवन की नई इबारत लिखी है।
श्री कृष्णकुमार डोबले और श्रीमती निवेदिता डोबले द्वारा वर्ष २००७ में सर्वप्रथम अपने गाँव खैरीपेका में सामूहिक विवाह का आयोजन कर समय के साथ चलने हेतु समाज में परिवर्तन की नई लहर उत्पन्न की थी। उसके बाद २०१२ से श्री कृष्णकुमार डोबले और श्रीमती निवेदिता डोबले के मार्गदर्शन में खैरीपेका में प्रतिवर्ष लगातार सामूहिक विवाह का आयोजन हो रहा है।
कुछ दिनों पूर्व ही श्री कृष्णकुमार डोबले की बड़ी बहन श्रीमती गीता कास्लिकार का उज्जैन में आकस्मिक निधन हुआ था तब भी अपने जीजाश्री को सम्बल देने न केवल दोनों युगल श्री कृष्णकुमार डोबले और श्रीमती निवेदिता डोबले उनके पास उपस्थित रहे अपितु उन्होंने तेरवीं का आयोजन न कर केवल श्रृद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन कर दुःख की घडी में भी साहस दिखाने का परिचय दिया।
अभी हाल ही में श्री कृष्णकुमार डोबले खैरीपेका छिंदवाड़ा ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती निवेदिता डोबले पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत छिंदवाड़ा के सम्बल और सहयोग से अपनी माताश्री के देहावसान पर केवल श्रृद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित कर क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है। श्री डोबले जी ने अपनी माताश्री शांति बाई डोबले का दसक्रिया कार्यक्रम उज्जैन में आयोजित किया और वहाँ की तीन विकलांग संस्थाओं के बच्चों को अपनी शृद्धानुसार अनुदान राशि उपलब्ध कराई। खैरीपेका में तेरहवीं के दिन केवल श्रृद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया और तेरहवीं में होने वाले संभावित खर्च की राशि से अपने गांव खैरीपेका के मोक्षधाम में विश्रामगृह बनाने का एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जिसकी मिसाल दूर दूर तक मिलना मुश्किल है।
अभी हाल ही में श्री कृष्णकुमार डोबले खैरीपेका छिंदवाड़ा ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती निवेदिता डोबले पूर्व अध्यक्ष जिला पंचायत छिंदवाड़ा के सम्बल और सहयोग से अपनी माताश्री के देहावसान पर केवल श्रृद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित कर क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है। श्री डोबले जी ने अपनी माताश्री शांति बाई डोबले का दसक्रिया कार्यक्रम उज्जैन में आयोजित किया और वहाँ की तीन विकलांग संस्थाओं के बच्चों को अपनी शृद्धानुसार अनुदान राशि उपलब्ध कराई। खैरीपेका में तेरहवीं के दिन केवल श्रृद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया और तेरहवीं में होने वाले संभावित खर्च की राशि से अपने गांव खैरीपेका के मोक्षधाम में विश्रामगृह बनाने का एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जिसकी मिसाल दूर दूर तक मिलना मुश्किल है।
उल्लेखनीय है उक्त दोनों दंपत्ति द्वारा समाज सुधार पर भाषण देने के स्थान पर समय समय पर समाज सुधार के काम करके जो उदाहरण प्रस्तुत किये जा रहे है वह अनुकरणीय है। भगवान् इन दोनों को दीर्घायु प्रदान कर इनकी जोड़ी को सलामत रखें।
आप चाहे तो इस दंपत्ति को उनके कार्य के लिए बधाई दे सकते है। उनका मोबाइल न है -9584153816
आप चाहे तो इस दंपत्ति को उनके कार्य के लिए बधाई दे सकते है। उनका मोबाइल न है -9584153816
वल्लभ डोंगरे ,"सुखवाड़ा ",सतपुड़ा संस्कृति संस्थान ,भोपाल।
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