# भोयरी संस्कृति - ४ #* लोकचित्रकला की अनोखी भोयरी संस्कृति *लोकचित्रकला : तिवार , ब्याह, संस्कार , सुभ घडी पर होन वाली चित्रकारी भोयर समाज मऽ थोडऽबूत फरक सोडकन् येकसारखीच सऽ , मंग वूई महाराष्ट्र का वर्धा - नागपूर जिला रहे या मध्यप्रदेश का बैतूल - छिंदवाडा जिला . लोकचित्रकला कला कला को आदिम रूप आय. येनऽ लोकचित्रकला मऽ सूर्व्य , चंदर , पीतर , जनावर , पाखरु , बाई , मानुस , भगवान...
Sunday, 5 July 2020
Monday, 22 June 2020
गानो सनतिवार को
पह्यली आयी आखाडीचारी तिवार ललकारीजीवती पोहतीनागोबा कऽ भोवतीनागोबा बसे दाठ्ठा मऽनागोबा को मानमोरोआघं आये पोरोकाजरतीज की कायनीबसी महालक्षुमीगनपती आस्याखपक्स्या को पात्रनवमी की सवासिनअखजी अखरपकपाय पखार पकदहा ( दस) दिन को दसरोपाच दिन मऽ माडीआठ दिन मऽ आठवीसात दिन मऽ दिवारीपोटुबाटुना करस घाईबहिन भाईला वोवारसबहिन ला राग मोठोराग को करे पानीभाई की भयी हानीबहिन की वाचा तोडोभाई को मरे घोडोआघं...
Saturday, 20 June 2020
*भूले-बिसरे शब्द* *अंग और आभूषण*
*पांव को अंगूठा* म-अगुया। *पांव की दूसरी उंगली* म- जोड्या। *पांव की तीसरी उंगली* म- मच्छी। *पांव की चौथी उंगली* म- फुल हिरोडी। *पांव* म -तोड्हा,कडल्य,रुल। *कमर* म- करदोड़ा। *हाथ का पन्जा* म- आगुड़दान,एकरूप्या, मुन्दी, अठ्ठन्नी, चवन्नी। *हाथ* म-पाटली,काकन, बंगडी,गोलेटा,मस्तुरा, माठीदोरा। *बाजू* म- बाक्ड़या। *गरा*...
*भूले-बिसरे शब्द*
*भूले-बिसरे शब्द* *रांधन घर (रसोई घर) में प्रयुक्त बरतन ,पात्र और उपकरण* *तबेला,कुंडा* _ सब्जी बनाने के लिए प्रयुक्त मिट्टी का बरतन । *हांडी* - खीर ,खिचड़ी या पेज (दलिया) बनाने के लिए प्रयुक्त मिट्टी पात्र । *दोहनी*-कढ़ी , लप्सी,पेज बनाने या गाय का दूध दुहने के लिए प्रयुक्त मिट्टी पात्र। *पाट्या,पाटिया*-कुरोड़ी बनाने के लिए या ताक (मही)...
भूले-बिसरे शब्द* 002
*भूले-बिसरे शब्द* *मुचका* - फसल में डौरा चलाते समय फसल खाने से बचाने हेतु बैलों के मुंह पर बांधा जाने वाला रस्सी से बुना मुंह के आकार का सुरक्षा कवच जैसे कोरोना से बचने के लिए इंसानों द्वारा मास्क लगाया जाता है। *मछौंडी* -बैलों के सिर पर दोनों सिंगों के बीच बांधे जाने वाली श्रृंगार सामग्री। *बेगड़* - बैलों का श्रृंगार करने हेतु सिंगों पर चिपकाने वाला चमकीला रेपर,पेपर...
*भूले-बिसरे शब्द* *कुएं से जुड़ी शब्दावली व पहेलियां*
*भूले-बिसरे शब्द* *कुएं से जुड़ी शब्दावली व पहेलियां* *ससनी* - कुएं से पानी निकालने हेतु दो खूंटों पर आड़ा रखा मजबूत लकड़ी का आधार *खूंट* -ससनी को आधार देने हेतु जमीन में गहरे गड़े और खड़े दो खूंट *परतवाही*- परोता को गोलाकार घुमने हेतु दो छोरों पर लगे लकड़ी के दो आधार जिसमें परोता की कील फंसाई जाती है।*परोता* - मोट की सोंड की रस्सी...
*भूले-बिसरे शब्द** 001
बोली -भाषा के पुराने व अप्रचलित शब्द मरते जाते हैं और नए शब्द जगह भी बनाते जाते हैं। कुछ मृत या मरनासन्न शब्द पाठकों से साझा किए जा रहे हैं-*लिलपी*-प्रथम बारिश के बाद अंकुराया या ऊगा चारा (हरा घास-फूस), गर्मी भर सूखा घास खाने के कारण ऊब चुके जानवर जिसे चरने हेतु ललचाते और चाव से चरते हैं। *सौकास*- सुविधाजनक ढंग से, आराम से। *ढेरा* - धन के आकार की लकड़ी...
पानी जीव की कहानी
पानी जीव की कहानीपानी जीव की कहानीपानी जीव ला आधारकरम को भागिरथगंगा पुंजस पीतर. ।१।पानी जीव की कहानीदूध माऊली को सारबहे नस नस मिन्रगत को उपकार. ।२।पानी जीव की कहानीवोलऽ माती ला पाझरवटी हिवरं खन कीभयी पेट ला भाकर. ।३।पानी जीव की कहानीझलारस मुंडा परसूर्व्य चंदर को नातोनाव गोंद्यो आंग पर. ।४।पानी जीव की कहानीकरे चर्रऽ चर्रऽ धारगुन हिरा को दिखाडेजिंदगी की तलवार. ।५।पानी...
Monday, 8 June 2020
बातच् कई आउर हय

...
🌧️ डोरा मिरुग सपन 🌧️
🌧️ डोरा मिरुग सपन 🌧️नातो भूई आभार कोरहे माय बाप वानीजीव जंतू को आसरोवोकनच जिंदगानी पंचमहाभूत सार घरं दारं आबादानी भेदे तमाम असार भारे तन मन पानीडोरा मिरुग सपनबहे जीवन कहानीझड भावना की लागीमन आये ना बरानी भूई कुस उजयेन ...
🥦 झाड पेड गनगोत 🥦
🥦 झाड पेड गनगोत 🥦आयी बड सावितरीझाड कुडी की गुफननातो जलम जलमबड देव को पूंजन सूत पिवरो गुंडारे साजे नाता को बंधन बाजे पायपट्टी पाय ऽ आंग ऽ मह्यके चंदनझाड पेड गनगोतरह्ये सिवार आंगनफेरा माऱ्या सातडावहरख्यास देवांगन मुरी अगास मऽ धरे ...
Monday, 25 May 2020
भुजलिया (पंवारो/भोयर/भोयर पंवार का मुख्य त्योहार)

*भुजलिया (पंवारो/भोयर/भोयर पंवार का मुख्य त्योहार)*
सावन माह की पूर्णिमा के अगले दिन बनाया जाने वाला पर्व.....
नागपंचमी अगले दिन गेहूं के दानों को बांस की टोकरी में बोया जाता हैं बेटी के टोकरी व एक टोकरी खेत की, और एक टोकरी देव के लिए बोई जाती हैं
अगले 10...
Wednesday, 13 May 2020
उत्तराखण्ड का परमार वंश या गढ़वाल का पंवार वंश
उत्तराखण्ड का परमार वंश या गढ़वाल का पंवार वंश
➤ गढ़वाल में 54 गढ़ थे। इन 54 गढ़ों पर खश ठकुरियों का अधिकार था। इन गढ़ों में सबसे प्रमुख गढ़ भानू प्रताप द्वारा बसाया गया चाँदपुर गढ़ी था। वर्तमान में सभी गढ़ों में बचा एक मात्र गढ़ चाँदपुर गढ़ी (चमोली) में स्थित है।
➤ गुजरात के राजा कनकपाल ने 888 ई. में गढ़वाल में पंवार वंश की नींव रखी। कनकपाल ने चाँदपुर गढ़ी को अपनी राजधानी...
*जितेन्द्र ठाकरे* *+91 9754628304* *बैनगंगा क्षत्रिय पवार समाज भोपाल*
*पवारी कविता शीर्षक*
*"गांव में देखो पोवारी शान"*भाऊ गा गांव माँ देखो पोवारी शान।गुडुर/घोड़ो की खासर जासे सनान।
नवोसाल मा तिर सकरात को मौका आयो- 2अना नवती बहु गिन बाट सेत बान ।अगा गांव माँ देखो पवारी शान।
जब टूरा अना टुरी देखन ला जासेती ,जेव सेती सुवारी न भटा भात को पकवान।अगा गांव में देखो पवारी शान।
बिह्या बरात माँ जासेती त जीव(मन)भरके देसेत दान,अना आपरी टुरी को दहेज़ में...
अग्निवंशीय पँवार(परमार) क्षत्रिय !!

अग्निवंशीय पँवार(परमार) क्षत्रिय !!उज्जैन और धार, पँवार(परमार) वंशियो की प्राचीन राजधानी थी। राजा महलकदेव पँवार मालवा के अंतिम शाशक थे जिनकी १३०५ मे अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति आईनुल मुल्क मुल्तानी ने हत्या कर दी और इसके बाद वंहा रह रहे लाखो पँवार भाइयो के लिए जीवन का...
Friday, 1 May 2020
नजरिये
.इंसान अपने नजरिये से ही ऊँचा उठता हैउसकी सोच एक ऐसे नजरिये को विकसित करती हैजिससे वो आगे बढ़ाता है.विचार गतिशील व भिन्न होते है....इसका जीवंत उदाहरण है...सब्जी की टोकरी में से हर व्यक्ति सब्जी छाटता हैऔर मजे की बात है किबिक भी पूरी जाती है..!.राजेश बारंगे पवार.#राजेश_बारंगे_पवारसुखवाड़ा अप्रैल 2017 अंक से...
Subscribe to:
Posts (Atom)
- Recent
- Weekly
- Comment
Recent
Weekly
-
Surnames In Pawar (bhoyar) Community 72 gotra उपरोक्त...
-
(माँ गढकालीका की आरती मैय्या करू गुढळली तोरी आरती हो माँ-२...
-
परमार एक राजवंश का नाम है, जो मध्ययुग के प्रारंभिक काल में...
-
७२ कुल पवारो के गोत्र , कुलदेवी-देवता एवं वंश ...
-
पवार-कूरावलि नामदेवराव सोनवाने अमरावती ( भूतपूर्व महासचि...
-
भोयरी / पवारी पवारी / भोयरी बैतूल, छिंदवाड़ा, वर्धा...